धर्म कर्म: पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में भक्तों को बताया कि (लोगों को शाकाहारी नशामुक्त सदाचारी बनाने आदि के) प्रचार-प्रसार के लिए अपनी-अपनी योजना बना लो। सब जगह एक जैसा काम नहीं हो सकता। जहां किसान के पास इस समय कोई काम नहीं है, किसान लोग निकल पड़ो। व्यापारी कर्मचारी आप भी समय निकालो। कहते हैं गुरु का दसवां अंश होता है। (सोचते हो कि केवल) रुपया-पैसा दे दो, बस कागज का नोट दे दो। वो मालिक एक का दस देता ही देता है। उससे भी ज्यादा जरूरत पड़ने पर, जब लक्ष्मी खुश हो जाती है तब ज्यादा देर तक रुक जाती हैं। जो एक दिया दस मिलना था, अगर लक्ष्मी रुक गई तो आपके पास वही 15 हो जाता है। लेकिन उससे शरीर की तकलीफ नहीं जाती है। शरीर का भी दसवां अंश भी निकालना चाहिए।

आलसी आदमी योजना बनाते-बनाते जीवन लीला समाप्त कर देते, कुछ नहीं कर पाते

होने को सब होता है, करने वाला चाहिए। आलसी आदमी कुछ नहीं कर पाता, बस योजना बनाता ही रह जाता है। योजना बनाते-बनाते जीवन लीला खत्म हो जाती है। सोचता है जब नौकरी खत्म होगी तब सेवा में लग जाएंगे तो बस योजना बनाते-बनाते ही खत्म हो जाएंगे। पता लगाओ तो नौकरी और दुनिया दोनों से रिटायर हो गए, खुदा को प्यारे हो गए। ऐसे आदमी योजना बनाता रहता है और रह जाता है।

जो आगे बढ़ जाता है, उसके पीछे चलने वाले लोग तैयार हो जाते हैं

जो बढ़ जाता है, आगे चल देता है, उसके पीछे चलने वाले लोग तैयार हो जाते हैं। जो सोचते रहते हैं, कब चलोगे, वह बैठे रह जाते हैं। जो डूबने के डर से बैठे रहते हो, पार नहीं हो पाते। जो पार होने का तरीका अपना लेते हैं, वह किसी न किसी तरीके से पार हो जाते हैं। इसी भवसागर में हमको डूबना उतरना है या इसी जीवन में पार होना है – यह आपके ऊपर निर्भर करता है। आप पर हमने छोड़ दिया। एक जगह योजना बनाने से देश-विदेश में सफल नहीं हो सकती। इसलिए आप लोग अपने-अपने हिसाब से समय निकालो। जिसके पास समय है, पूरा एक महीना करो, पूर्णिमा तक लगातार लगो। नहीं समय है तो 15 दिन-10 दिन का निकाल लो। नहीं समय है 30 दिन में तो तीन ही दिन निकाल लो। कुछ तो करो। अभी तो एक तरह से दिन में दौड़े, शाम को खाए और पैर फैला करके सो गए। एक दिन-रात निकल गई। 21,600 श्वासों की पूंजी खत्म हो गई। भोग में जीवन बिता दिया तो चार गुना बढ़कर के खर्च हो जाता है। आपके ऊपर है, जो आप चाहो वैसा करो। मैं आपको खाली बता सकता हूं, हाथ पकड़ कर नहीं करा सकता हूं और न आप करोगे। जो प्रेम और भक्ति थोड़ी बहुत है, वह भी खत्म हो जाएगी। यह जरूर कहूंगा कि विचार करो, सोचो, यह संकल्प होली के दिन बनाओ कि इस दु:ख के संसार में हमको जन्मने-मरने के दु:ख की पीड़ा झेलने के लिए नहीं आना है, 84 लाख योनियों में चक्कर नहीं लगाना है।

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