धर्म-कर्म: इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, किसी भी पशु-पक्षी का मांस मत खाना। क्योंकि, खून जब बेमेल होता है तो तरह-तरह की बीमारियां आ जाती हैं। ये कोरोना तो कुछ भी नहीं है, आगे देखिएगा ऐसी- ऐसी बीमारियां आएंगी कि, जब तक दवा खोजोगे तब तक बहुत से लोगों का राम नाम सत्य हो जाएगा। देखो ये एक तरह से कुदरत का ट्रेलर है तकलीफों और बीमारियों का। पिक्चर तो अभी आगे चालू होगी।
मन पर काबू पाना एक तरह से लोहे का चना चबाना है:-
इस कलयुग के मलिन युग में आदमी मन का गुलाम बन रहा है, जानते हुए भी की इसका परिणाम बुरा होगा लेकिन आदमी उसको कर रहा है। दु:ख-सुख एक सिक्के के दो पहलू हैं। अगर इस तरह लोग शरीर को पापी बना करके नरकों की तरफ न भागते जाते, नरकों में जीवों के जाने की संख्या न बढ़ती, प्रेत योनी में न जाते, प्रेतों की संख्या न बढ़ती तो सन्तों को यंहा आने की क्या जरूरत थी। गुरु महाराज जैसे सन्त को इस धरती पर आने और कष्ट झेलने की क्या जरूरत थी। ऐसे समय पर सन्तों का आना हुआ।
सबसे बड़ी दक्षिणा:-
आप अपनी बुराइयों को यही छोड़ जाओ। यही होगी आपकी सबसे बड़ी दक्षिणा। अभी तक आपकी वजह से जीव हत्या हुई, वह अब न हो। पैसे वाले लोग कहते हैं कि, हम मछली बकरा आदि मारते नहीं है, हम तो पैसा देकर मांस मछली खरीद कर लाते खाते हैं। लेकिन, अभी मांस मछली खाना लोग बंद कर दे तो कोई मछली बकरा मारेगा? जीव हत्या बहुत बड़ा पाप होता है। जिस जीव को आप बना नहीं सकते हो, उसको मिटाने के हकदार भी नहीं हो। कहा गया है- जो गल काटे और का, अपना रहा कटाये, साहब के दरबार में, बदला कहीं न जाए। बदल देना पड़ता है इसलिए इनकी रक्षा करो ।