धर्म-कर्म : वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि देव दुर्लभ मनुष्य शरीर केवल खाने, सोने, भोग के लिए नहीं मिला बल्कि जीते जी प्रभु प्राप्ति के लिए मिला है। उसके लिए वक्त के गुरु, समरथ गुरु की जरूरत पड़ती है। वक्त के गुरु जब मिल जाते हैं, जीता जागता नाम मिल जाता है तो जीवों का उद्धार हो जाता है। इस वक़्त का प्रभु का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव, संकट में मददगार है। इस नाम में उस प्रभु की पूरी ताकत समाई है। समय-समय पर नाम को जगाया जाता है। जब राम भगवान आए थे तो राम नाम में उन्होंने शक्ति भरा था। लंका पर विजय के लिए जब समुन्द्र पर पुल बनाने की जरुरत पड़ी तब पत्थर पर राम-राम लिखकर के समुन्द्र में डाला, सारे पत्थर तैरने लगे थे। इसे देख बन्दर भालुओं को विश्वास हुआ, उनकी हिम्मत बढ़ गई कि जिनके नाम के लिखने में पत्थर तैर रहा है, उनमें कितनी शक्ति होगी, हमारा कोई कुछ नहीं कर पाएगा। हिम्मत जब बढ़ जाती है तब आदमी कामयाब हो जाता है। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, पार ब्रह्म को पाइए मन ही के परतीत। जब महात्मा महापुरुष आते हैं तो नाम को जगा करके उसे परमात्मा से जोड़ देते हैं। त्रेता में राम नाम, द्वापर में कृष्ण नाम कलयुग में सत साहब नाम, वाहेगुरु और इस समय जयगुरुदेव नाम है। बहुत लोगों ने आजमाइश किया, आप लोग भी आजमाइश कर सकते हो।

वर्तमान और भविष्य की तकलीफों को दूर करने का तरीका- जयगुरुदेव नाम ध्वनि

मैं देख रहा हूँ, बहुत लोग दुखी हैं। तो अब तकलीफों में आराम पाने का उपाय ले लो। नामदान के पांच नामों से तकलीफें जल्दी जाएँगी लेकिन इनको आपको किसी को बताना नहीं है। लेकिन इस जयगुरुदेव नाम को आप बता सकते हो, जयगुरुदेव नाम की ध्वनि आप बुलवा सकते हो। एक घंटा सुबह-शाम परिवार वालों को इकठ्ठा करके अगर जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बुलवाने लगोगे तो कुछ दिनों में हर तरह से फायदा आपको दिखाई पड़ने लगेगा। जो शाकाहारी नशामुक्त हो कर बोलेंगे उन्हें जल्दी फायदा होगा। शराबी, मांसाहारी, सटोरियों, जुआरियों, बुरा कर्म करने वालों को भी फायदा होगा लेकिन तब जब उन्हें लगातार बुलवाओगे, जब उनके कर्म कटेंगे तब। परिवार वालों के साथ जब आप जुड़े हुए हो, दुःख-सुख के साथी हो, एक-दुसरे की सेवा करते हो, एक-दुसरे की बात मानते हो तो उन्हें इसके लिए राजी कर लो कि एक घंटा जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोली जाय जिससे आगे तकलीफ न आवे। अभी तक तो बहुत भोगा गया, अब आगे नहीं। बच्चों को भी बुलवाया जाए जिससे बच्चों को भी तकलीफ न आवे। बच्चों के खाने-पीने, आने-जाने, संगत आदि का ध्यान रखो तो वो बिगड़ेंगे नहीं तो कर्म खराब नहीं होंगे तो उनको तकलीफें आएँगी नहीं। जो सतसंगियों के बच्चे जो संगत में, ध्यान-भजन में लगे रहते, नाम ध्वनि बोलते रहते हैं, वो बिगड़ते नहीं हैं। जो गुरु पर विश्वास कर लेते हैं गुरु उनकी रक्षा करते हैं। सब लोग रट लो कि तकलीफों को दूर करने के लिए और भविष्य में तकलीफें न आवे, उसके लिए जयगुरुदेव नाम की ध्वनि हमको बोलना है। प्रथम सीढ़ी पर जाना है। मंजिल, छत पर अगर जाना है यह पहली सीढ़ी जयगुरुदेव नाम की है, इस पर चढ़ना है। नाम ध्वनि ऐसे बोलना रहेगा- जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयजय गुरुदेव। यह जयगुरुदेव वाले गरीब गंवार नहीं, शहंशाह के बेटे हैं, आपको इनसे सीख लेनी चाहिए।

नामदान के बदले दक्षिणा में मांगी बुराइयां:- 

नामदान देने के बाद महाराज जी ने कहा कि अपनी सारी बुराइयों को यही छोड़ जाओ। आपकी वजह से किसी को जीव को कष्ट न हो, यही होगी आपकी गुरु दक्षिणा। मांस मछली अंडा मत खाना, शराब जैसे तेज नशे का सेवन मत करना। इसको यहीं छोड़ जाओ। प्रभु से माफी मांग लो की जान-अनजान में बनी गलती के लिए हम कान पकड़ते, तौबा करते. माफी मांगते हैं। अब हम गलती नहीं करेंगे, यही सबसे बड़ी होगी आपकी दक्षिणा।

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