धर्म कर्म; पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बुड्ढों ने गाय बैल बेच करके आपको पढ़ा दिया। लड़का कमा कर दो रोटी लायेगा, बुढ़ापे का सहारा बनेगा और आप अभी तक नहीं बन पाए। अरे! तो जहाँ नौकरी मिल जाए, वहीं कर लो। कुछ तो घर में लाने लगोगे, सहारा तो बन जाएगा। औरत अगर घर में आ गई तो झगड़ा होगा की नहीं होगा? खर्चा जब पूरा नहीं होता है तभी लड़ाई होती है। शादी के दूसरे दिन से ही खर्चा चालू हो जाता है। ज्यादातर खर्चा की वजह से ही दहेज तलाक के मुकदमा चल जाते हैं। इसलिए बच्चो! खाली मत बैठो, कुछ कमाते रहो। अगर न समझ पावे कि बच्चे को क्या पढ़ावें तो स्कूल में चले जाओ, जहां नाम लिखाया था। मास्टर से पूछ लो। मास्टरों को मालूम रहता है कि बच्चा क्या पढ़ पायेगा, क्या बन पाएगा। बता देंगे तो लगा दो किसी न किसी काम में। कोई भी व्यापार करो, मना नहीं करता हूं लेकिन कोई भी काम साझे यानी पार्टनरशिप में मत करना। नहीं तो कोई बेईमान पार्टनर मिल जाएगा तो सब खा जाएगा। आपको कर्जदार कर देगा। आपको माल तो वो खा जायेगा और जिम्मेदारी आपकी रहेगी क्योंकि नाम आपका रहेगा क्योंकि आपको अनुभव नहीं रहेगा। इसलिए अनुभव वाला ही काम करो। सीख करके करो, अकेले करो। थोड़े से ही (शुरू करके) बड़े बनो। घर बना लो, घर खरीद लो, पुराना घर मत खरीदो, नया बना हुआ खरीद लो। झगड़े का घर-जमीन-प्लाट मत खरीदो। साफ सुथरा है तो पैसा देकर तुरंत लिखा लो। एक तरफ पैसा दो, दूसरी तरफ लिखा लो नहीं तो एक-एक जमीन को यह बेईमान लोग, कई लोगों को बेच देते हैं। और कहते रहते हैं कि बस आज रजिस्ट्री कर रहे हैं। अक्सर शिकायत आती है। रजिस्ट्री नहीं कर रहा, पैसा ले लिया, तो एक से पैसे लिया है? अरे चार से लिया है तो किसकी रजिस्ट्री करेगा? एक जमीन, वही आमदनी का जरिया बना लेते हैं। उसी का एजेंट बना लेते हैं। वही एजेंट कमीशन पर काम करते हैं, लाकर के दिखा करके, एडवांस करा देते हैं। तो कागज पत्र दुरुस्त करके यह सब काम करो।
ठगों से होशियार रहना
यह न सोचो कि यह दूध के धुले हुए हैं। आप हमेशा दरवाजे तक ही रिश्ता रखो। कोई कितना भी टाटधारी, गुलाबी कपड़ा पहनने वाला, कितना भी हमारे नजदीक का अपने को बताने वाला हो लेकिन उस पर आप लोग विश्वास मत करना। रुपया-पैसा ऐसे सबको मत पकड़ाना। कहीं धोखा न हो जाए। आप विश्वास कर लो, वो आये आसन लगाकर तीन घंटा बैठ गए, आंख खोल तो मालूम पड़ा सतलोक से ही उतर कर आ गए। कहते हैं, औरत बीमार, बच्चा बीमार है, दो करोड रुपए मिलने वाला है, पांच लाख रुपया दे दो। ब्याज मिला करके छ-सात कर देंगे और लेकर चले जाते हैं। फोन करो तो उठाते नहीं, कहते हैं बस मिलने वाला था, बस यहां फंस गया, अब इतना पैसा और खर्च कर दो तो हो जाएगा। फिर जाते हैं, और ले जाते हैं। तो पांच लाख फंस गया तो लाख-दो लाख और ले जाते हैं। ऐसे वसूलते रहते हैं। तमाम ऐसे लोग घुस गए, संगत बड़ी हो गई। इसलिए मंच से बता रहा हूं। अभी एक-एक को बताने का वक्त नहीं रह गया। गुरु महाराज, गुरु महाराज के गुरु महाराज (दादा गुरु) कहा करते थे कि यह संगत नदी तालाब नहीं रह जाएगी, यह तो समुद्र का हो जाएगी। क्योंकि प्यास उठने लगी, अंदर से प्रेरणा होने लगी, सुनने की लोग इच्छा करने लग गए। लोगों को फायदा होने लग गया। सुकून शांति मिलने लग गई तो संख्या तो बढ़ेगी ही।
सबके अंदर उस परमात्मा की अंश जीवात्मा है, हम तो उसी को देखते हैं
तो यह चीजें मन खराब कर देती है। कोई बगल में आया, बढ़िया-बढ़िया बातें बताने लगा और झोला लेकर चला गया तो फिर मन संतसग में लगेगा? आप कहोगे हमारा जेवर कट गया, चेन कट गई। हमने तो सबको बता दिया, पहन करके क्यों आओ। हमारे गुरु महाराज भी यही कहते थे। अब कहोगे नाक कान खाली कैसे रखें? बाजार में तो सोने से भी ज्यादा चमकदार पीतल का बढ़िया (रोज गोल्ड) मिलता है, चोर भी ले जाए तो रात भर पछताए। तो उसको पहन लो। और अगर गायब हो गया तो दोबारा मन नहीं करेगा कि चलो बाबा के यहां भीड़ में। मन खराब हो जाता है। तो यह सब बातें बतानी समझानी पड़ती है। आपके पास है तो अच्छा खाओ, पहनो, अच्छे समाज में रहो, जिस जाति बिरादरी में शादी करते हो, खाते हो वहीं शादी करो, वहीं शाकाहारी भोजन खाओ। हम मना नहीं करते, किसी का कुछ छुडवाते नहीं है। हमारे यहां तो- सियाराम मैं सब जग जानी, करो प्रणाम जोर जुग पानी। सबके अंदर परमात्मा की अंश जीवात्मा है। तो हम तो आपके अंतर की जीवात्मा को देखते, प्रणाम करते हैं। कोई भी आ जाए, हमको सबसे प्रेम है। कोई भी जाति मजहब के हो, पढ़े-लिखे, अनपढ़, स्त्री, पुरुष, बच्चे सबके अंदर आत्मा है। आत्मा-परमात्मा को समझने जानने वाला कभी भी जात-पात के पचड़े में नहीं पड़ता है। तो रहो आप अपनी जाति में लेकिन जाति धर्म के लिए मरने-मिटने खून बहाने की जरूरत नहीं है। धर्म, जातिवाद, भाषावाद, एरियावाद के चक्कर में आप मत पड़ो। इसमें पड़ जाओगे तो एक साथ दो काम नहीं हो पाएगा कि आप अच्छा समाज बना लो, अच्छे लोगों को भी तैयार कर लो, भजन भाव भक्ति भी कर लो और सामाजिक काम, नेतागिरी भी कर लो। तो दोनों काम नहीं हो पाएंगे। इसलिए अब आप इसमें लगाओ। अच्छा समाज बन जाए। आपकी जाति से बिरादरी से अच्छा समाज बन जाए। अच्छे-अच्छे घर के लोग, गरीब घर की भगत लड़कियों से शादी कर लेते हैं, खर्चा नहीं होता है। देखते हैं सुंदर है, सुशील है, घर में सेट हो जाएगी, सम्मान इज्जत करेगी, भूखे होंगे, रोटी खिला देगी, पानी पिला देगी, सेवा करेगी परिवार की, शादी ब्याह हो जाता है। चिंता, फिकर मत करो। पैदा होने की पहले जो मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वही करता है। यह मत सोचो कि हम बिरादरी छोड़ देंगे, इनको उनको छोड़ देंगे तो बच्चों की शादी कहां करेंगे? कहां रहेंगे? कौन हमारी मदद करेगा? गुरु महाराज आप पर दया करेंगे। तो आप उन पर भरोसा करो प्रेमियो! इन चक्करों में आप मत पड़ो। किसी जाति, धर्म, व्यक्ति, किताब की निंदा, बुराई मत करो।