धर्म-कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि मन की बैठक, जहां जीवात्मा की बैठक है, वहां होती है। यह मन काल का अंश है, और काल कभी भी यह नहीं चाहता है कि यह जीव हमारे लोक से ऊपर जा पावे। क्योंकि अगर यह ऊपर चले जाएंगे तो फिर नीचे आएंगे नहीं। तो हमारे बादशाहीयत खत्म हो जाएगी। प्रजा ही नहीं रहेगी तो राजा किस बात के रहेंगे। इसलिए मन को लगा रखा है। और मन की डोर माया के हाथ में दे रखी है। माया का ही यह पूरा पसारा है। पूरी दुनिया माया और काल की ही बनाई हुई है। माया का ही इस पर असर है, गो गोचर जहां मन लग जाए, सो सब माया जानो भाई। जहां तक नजर जाती है, वहां तक माया का ही पसरा है। रुपया-पैसा और औरतों को माया कहते हैं। इस समय दोनों का ही जोर चल रहा है। कारण कलयुग का असर है। और कलयुग में ही सतयुग आने की बात मिलती है। तो कलयुग जाएगा और सतयुग आएगा। तो कलयुग जाना नहीं चाहेगा, संघर्ष होगा, लड़ाई होगी जिसको महात्मा कबीर पहले ही कह कर गए- दो पाटन के बीच में साबूत बचा न कोये, चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोय। कबीर साहब रो पड़े थे कि दो पाटों के बीच में, कलयुग और सतयुग के संघर्ष में लोग पिस जाएंगे।

अंत में तो धोखा ही धोखा है:-

यही काम जो आदमी करता है, भोजन खाता, टट्टी-पेशाब करता, बाल-बच्चों को पैदा करता यही काम पशु-पक्षी भी करते हैं। तो मनुष्य का यही काम नहीं है। मनुष्य शरीर किस लिए मिला है- इसके बारे में हमेशा सोचते रहना चाहिए। जो नहीं सोचते हैं वह अपनी जिंदगी जीवन के साथ धोखा कर रहे हैं। धोखा खा जाएंगे। अंत में तो धोखा ही धोखा है। जब बुढ़ापा आता है तब आदमी सोचता है, देखो हमारा समय सब निकल गया। जब तक शरीर में बल है तब तक आदमी सोचता है कि धन, इज्जत कमा लो, घर-मकान बना लो और इसी काम में लगा रहता है। जब यह देखता है कि इन पुत्र, परिवार, रिश्तेदार, मित्र के लिए हम दिन-रात दौड़ते रहे और इस उम्र में यह लोग बात करना नहीं चाहते हैं, मुख मोड़ रहे हैं तो पश्चाताप होता है। और देखो धीरे-धीरे समय बदलता चला जा रहा है। दुनिया स्वार्थी होती चली जा रही है।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *