लखनऊ: इस बार प्रदेश के एक दर्जन जिलों की 73 ग्राम पंचायतों के प्रधान विधायक से भी दमदार होंगे। इन प्रधानों के पास विधायक को मिलने वाली निधि से भी ज्यादा बजट मिलेगा। किसी ग्राम पंचायत को 3 करोड़ तो किसी को 25 करोड़ से भी ज्यादा की रकम पहले से आवंटित है। इस वजह से इन गांवों में प्रधानी को लेकर दंगल भी गजब का दिख रहा है। यहां गांव की सरकार बनाने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। दावेदारों की एक-दूसरे को पटखनी देने के पैंतरों से यहां मतदाता भी मौज में हैं।

मार्च 2020 में प्रदेश सरकार ने इन 73 ग्राम पंचायतों के लिए 699.75 करोड़ का बजट आवंटित किया। इसके बाद अप्रैल में 50-50 लाख की पहली किस्त सभी ग्राम पंचायतों को जारी भी कर दी गई। ग्राम प्रधान पहली किस्त से विकास कार्यों को पूरा कर अगली किस्त मांगते कि 25 दिसंबर को उनका कार्यकाल खत्म हो गया। इतना ही नहीं ज्यादातर ग्राम प्रधान तो पहली किस्त भी नहीं खर्च कर पाए। अब इस बजट का इस्तेमाल नए चुन कर आने वाले ग्राम प्रधान कर सकेंगे। हालांकि सरकार ने इस बजट से होने वाले विकास कार्यों के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं और अफसरों की भी जवाबदेही तय की है।

प्रदेश में सबसे ज्यादा 25.53 करोड़ की परफार्मेंस ग्रांट गोरखपुर के पिपरौली ब्लाक की ग्राम पंचायत रानी सुहास कुंवरि को मिली है। तकरीबन 10 की आबादी वाली इस ग्राम पंचायत को मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए सरकारी विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, गांव में आरओ प्लांट, ओपेन जिम, इंडोर जिम, बारात घर, पुस्तकालय, हाई मास्ट लाईट समेत कई योजनाओं की डीपीआर मंजूर हो चुकी है। हालांकि रकम अभी खर्च नहीं हुई है। 2015 में महिला सीट से प्रधान चुनी गईं प्रीति शाही इस बार फिर मैदान में हैं और प्रचार अभियान की कमान उनके पति बबलू शाही के हाथ में है। प्रीति को टक्कर दे रही हैं पूर्व प्रधान नैनवास सिंह की बहू नीतू सिंह। अनारक्षित सीट पर मुकाबले में महिलाएं हैं पर कोई किसी से कम नहीं रहना चाहता है। गांव के श्याम बिहारी कहते हैं कि इस बार गांव का एजेंडा चुनावी विकास है। हालांकि वह भी स्वीकारते हैं कि परफार्मेंस ग्रांट का ही कमाल है कि चुनाव विधायकी से ज्यादा ग्लैमर वाला हो गया है।

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