धर्म-कर्म: जीवात्मा पर लदी कर्मों की गन्दगी को अपने सतसंग जल से साफ़ करने वाले, अंदर के लोकों में जाने का नामदान रूपी वीसा पासपोर्ट देने वाले एकमात्र अधिकारी, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, प्रेमियो! साप्ताहिक सतसंग कोई नया नहीं है। गुरु महाराज से पहले जो सन्त हुए हैं, उन्होंने अपने प्रेमियों से साप्ताहिक सतसंग करने के लिए कहा। साप्ताहिक सतसंग से बहुत फायदा होता है। जैसे काबिल मास्टर पिछले दिन का पाठ भी दोहरा कर नया पढ़ा देते हैं ऐसे ही सतसंग में आने से सतसंग की बातें रिवाइज यानी दोहरा जाती हैं।
साप्ताहिक सतसंग में जाना क्यों जरूरी है:-
ज्यादातर लोग गृहस्थी में रहते हैं। अब कोई फंसाव आ गया, घर में शादी या कोई तकलीफ आ गई और आज जैसे (बाबा उमाकान्त जी महाराज का) सतसंग (व नामदान कार्यक्रम है) उसमें नहीं पहुंच पाया तो जब अगली बार सतसंग होगा तब उनको मौका मिलेगा। लेकिन साप्ताहिक सतसंग जब आयोजित रहता है, हर हफ्ते इकट्ठा होना है, गुरु की चर्चा होगी, गुरु की महिमा गरिमा बताई जाएगी, मनुष्य शरीर पाने का मतलब दोहराया जाएगा, उसमें जब आदमी आता रहेगा तब यह जो (कर्मों की) गंदगी है जिसके लिए कहा गया है- सतसंग जल जो कोई पावे। मैलाई सब कट-कट जावे।। यह जो कर्म की गन्दगी आ जाती है, वह इसको सुनने के बाद साफ होती है। सतसंग में आने से कर्म साफ होते हैं। सेवा करने से ज्यादा साफ होते हैं। उससे जो कर्म बचता है वो भजन से चला जाता है तो जीव निष्कर्मी हो जाता है। कोई गंदगी नहीं रह जाती है।
सतसंग में आने से कर्म कटते धुलते जाते हैं:-
जैसे लोग कहते हैं मंदिर में चलना है तो नहा धोकर के, साफ़ होकर चलो। ऐसे ही जब सतसंग में आते हैं तो कर्म धुलते, कटते जाते हैं। यहां पहुंचने के बाद बहुत से लोगों के भाव बदलने लगते हैं, बहुत सी जानकारी होने लगती है। जब सतसंग बातों को सुनते हैं और उसको समझते हैं, जैसा बताया जाता है, वैसा करते हैं, उससे अंदर की गंदगी साफ होने लग जाती है। बाहर की गंदगी तो पानी से साफ होती है और इस सतसंग जल से अंदर की गंदगी, मैल साफ होती है। तब आप किसी भी दरबार, मंदिर में चले जाओ।
जैसे गंदगी लगाकर कोई मंदिर में नहीं जाता, ऐसे ही धनियों के देश, देवस्थान, देवलोक में गंदगी लगी हुई जीवात्मा नहीं जाती:-
सब मंदिर में कहते हैं कि साफ सफाई से आओ। चौकीदार रक्षक भी कहता है कि तुम पैर धो करके आओ। वह भी अंदर नहीं जाने देते। ऐसे ही अंदर में जो देवस्थान, देवलोक हैं, जो धनियों के लोक हैं, वहां जीवात्मा पर लगी हुई गंदगी वाला कोई भी नहीं जा सकता है। लेकिन जब सफाई हो जाए, जैसे यहां भी शरीर को साफ करके किसी मंदिर में जाओ कोई रोक-टोक नहीं है। ऐसे ही जीवात्मा साफ हो जाती है तो कहीं भी जाने में देर नहीं लगती है।