धर्म कर्म: गुरु पूर्णिमा के सतसंग व नामदान कार्यक्रम के माध्यम से जीवों पर दया की बरसात करने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि दया के घाट पर बैठने के लिए गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में सब लोग आने की तैयारी करो। 19, 20 और 21 जुलाई को जयपुर राजस्थान में गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम होगा। जब संकल्प बनाओगे तब तो पहुंच पाओगे नहीं तो विघ्न बाधा बहुत आएगी। काल और माया का देश है, निकालने नहीं देंगे। कहा गया- मोह माया को डांट लगाना, काल को धक्का देना और गुरु रूप का ध्यान लगाकर, गीत येए गाते आना, ऐ मन भटक न जाना, ऐ मन अटक न जाना।

मोह माया छोड़ दोगे तो पहुंच जाओगे

मोह माया को भी छोड़ दोगे, यह दिमाग में आ जाएगा कि जिस (प्रभु) के बच्चे हैं, जिनके परिवार है, वह उनकी परवरिश करेगा। यह चीज दिमाग में आ गई कि पैदा करने से पहले जो मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वह करता है, वह करेगा, हमको तो (कार्यक्रम में) पहुंचना है, परिवार सहित पहुंचेंगे, जानवरों की देख-रेख कोई और कर लेगा, सौंप करके चले जाओगे की वो अपना खिलाएगा, दुहेगा और खाएगा, उस (जानवर) का मोह छोड़ देंगे तब तो पहुंच जाओगे।

परिवार, धन-दौलत सबका मोह जब हटाओगे, तब काल बाधा डालेगा

घर जानवरों अन्य लोगों के मोह से जब मन को हटाओगे, डांट लगाओगे कि तुम यहीं रहो, परिवार का मोह, धन दौलत का, इसका-उसका मोह, यह सब हटाओगे, कहोगे यहीं रहो तो काल धक्का देगा, बाधा डालेगा। कोई मिल जाएगा, बोलेगा, बरसात हो रही है, सूख जाने दो। तरह-तरह से लोग भरम पैदा कर देंगे। उसको धक्का देना, मतलब अरे छोड़ो, तुम अपनी बात कहते रहो, हमसे क्या मतलब है। यह मिट्टी का शरीर है, मिट्टी में मिल जाएगा। इसकी कोई कीमत है? जब कुछ दिन तपस्या करेंगे, इससे कर्म कटेंगे तो काल धक्का खा जाएगा।

जैसे कुछ वकील लोग भरमाते रहते हैं, ऐसे ही मन भी भरमाएगा

लेकिन काल का वकील, मन फिर वो आपको भरमाएगा। उसके लिए गुरु के रूप को बराबर याद रखना है तब काल कुछ नहीं कर पाएगा। नहीं तो मन भटका देगा जैसे ट्रेन लेट हो रही है, सरकारी बस में बहुत भीड़ हो रही है, अरे सुबह वाली ट्रेन से चले जाना, सुबह लेट तक सोए, सुबह वाली ट्रेन निकल गई, उठे तब तक बहुत दिनों बाद कोई दूर का रिश्तेदार या कोई दूसरा आ गया, ऐसे काल बाधा डाल देता है, मन भटका देता है। जैसे मुकदमा खत्म होने पर वकील कहता है कि अबकी बार जीता करके ही दम लेंगे, गारंटी के साथ कहते हैं, देखने लगता है की जजमेंट खराब हो सकता है फिर किसी की दरखास्त लगवा देता है कि अब हम उनके असली वारिस हैं, तो (मुकदमा) चलता रहता है और वकील अपना काम सिद्ध करता रहता ऐसे ही काल का वकील, मन भी भटकाता रहता है। इसलिए ऐ मन भटक न जाना, ऐ मन अटक न जाना।

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