धर्म -कर्म: जिनके माध्यम से प्रभु अब सब पर दया बरसा रहे हैं, जो यहां जीवन यात्रा में और मृत्यु के बाद की यात्रा में भी साथी हैं, मददगार हैं, ऐसे इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, यह मनुष्य शरीर किराए का मकान है, एक दिन खाली कर देना पड़ेगा। यह जब खाली हो जाएगा, शरीर छूट जाएगा तो रुपया-पैसा हीरा-मोती ऐसे यूं ही पड़ा रहेगा। आखिरी वक्त पर मदद के लिए रिश्तेदार नातेदार पहलवान बलवान सब खड़े रहेंगे, कोई भी मदद नहीं कर पाएंगे और ये जीवात्मा ऐसे सट से निकल जाएगी। ये ऐसे धुकधुकी चल रही है, बस धुकधुकी जहां बंद हुई, जहां ये हृदय का जो प्राण है, वो रुका तब क्या होता है? मुख्य प्राण यही है। शरीर में 10 प्रकार के प्राण है। तो जैसे ये रुका और तैसे यह शरीर धड़ाम से गिर जाएगा। सारी अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, फारसी का ज्ञान, सारा धन-दौलत, सारा पुत्र-परिवार सब कुछ यही छूट जाएगा। आखिरी वक्त पर कोई काम आने वाला नहीं है।
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इसलिए ऐसा कुछ करना चाहिए कि जो यहां का भी साथी रहे और वहां रास्ते का भी साथी बन जाए और उस प्रभु के पास पहुंचा दे। तो ऐसे साथी कौन हुआ करते हैं? वही जिसको वह प्रभु अपने जीवों को निकालने के लिए (यहां मृत्युलोक में) भेजा करता है, जिनको सन्त सतगुरु कहा जाता है। प्रेमियो! सन्त हमेशा इस धरती पर रहते हैं। तो ये हमारे जो गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव जी) का फोटो लगा हुआ है, ये पूरे सन्त थे। बहुत से जीवों को इन्होंने अपनाया, उनके अंतःकरण को धोया। कपड़ा, शरीर गंदा हो जाए तो आप धो लेते हो लेकिन अंतरात्मा को नहीं धो सकते हो। अंतरात्मा किसको कहते हैं? समझो जैसे बाहर से इस शरीर की खाल दिखती है लेकिन इसके पीछे मांस, हड्डी, किडनी, लीवर आदि बहुत चीजें है जो बाहर से नहीं दिखती ऐसे ही अंदर का सिस्टम अलग है। अंदर में भी कर्मों की गंदगी जमा होती है। दोनों आंखों के बीच में जहां पर शरीर को चलाने वाली जीवात्मा बैठी है, वहां गंदगी जमा होती है जिससे वह (जीवात्मा की तीसरी) आंख बंद हो जाती है। जैसे यह बाहरी आंख पर गंदगी धूल गर्द जमा हो जाए, पर्दा पड़ जाए तो दिखाई नहीं पड़ता है और जब ऑपरेशन करा कर साफ़ कर देते हो तो दिखाई पड़ने लगता है, ऐसे ही अंदर जीवात्मा की आंख पर जान-अनजान में बने कर्मों के जमने की वजह से अंदर में दिखाई नहीं पड़ता है। तो उसको साफ करने वाला कोई सतगुरु वैद्य होना चाहिए। उसकी सफाई जरूरी होती है। जब वो साफ हो जाता है तब समझो रास्ता साफ हो गया। तब जीवात्मा निकल कर के जाती है। तो गुरु महाराज बहुत से लोगों के अंदर में सफाई किया और दया किया तो बहुत से जीव पार भी हो गए।
प्रभु जीवों पर दया सन्तों के द्वारा करवाते हैं:-
तब सन्त ही यह उपाय निकाल देते हैं कि प्रभु की दया की धार उतर रही है, उसको पकड़ने के लिए, प्रभु के पास जाने के लिए सेवा करो। शरीर से तो सेवा के लिए बराबर कहता रहता हूं। जिसके लायक जो भी सेवा जैसे भी हो, संगत की सेवा होती है, उसी तरह से सेवा करना चाहिए। तो संभाल वाली यह बात है कि दो बात बर्दाश्त कर लो। तो लड़ाई-झगड़े में नहीं फंसोगे। एक रोटी की भूख रख करके खाओ तो रोग से बचे रहोगे, आराम से हजम हो जाएगा। यह सब बात बताता रहता हूं। लोभ-लालच मत करो। लोभ लालच में फंसते हो तो घर का भी जो रहता है, वह चला जाता है। आजकल ठगी बहुत होती है। और ठग पहचान लेते हैं कि भाई यह व्यक्ति खुश कैसे होगा, रीझेगा कैसे? उसी तरह की बातों में फंसा उलझा कर रुपया-पैसा को लगवा देते हैं और लौटता एक पैसा भी नहीं तो यह सब क्या है? यह संभाल वाली बात है। बच्चे-बच्चियों का ध्यान रखो। घर से निकलते हैं, कहां जाते हैं, क्या करते हैं, किस तरह से करते हैं, इसका ध्यान रखो।