धर्म-कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि भारत धार्मिक देश है। धर्म की बेल यहीं से पूरे विश्व में बढ़ी है। इसको अभी कोई खत्म नहीं कर सकता है। हालकि कुछ लोग जान-अनजान में लगे हैं, सोच रहे हैं कि इसी (कर्म-काण्ड) में हमको प्रकाश, रोशनी मिल जाएगी, हम आगे बढ़ जाएंगे, तरक्की कर ले जाएंगे। ऐसे लोग भ्रम और भूल में हैं। उनको जानकारी धर्म की वास्तव में नहीं है।

ऐसे लोग मनुष्य शरीर पाने का मतलब नहीं समझ पा रहे

इस धार्मिक देश में कोई न कोई पूजा-पाठ करते रहते हैं। सावन में तीर्थ स्थानों पर भीड़ मिलेगी। दर्शन के लिए लोग आते हैं। कांवड़ का प्रचलन कुछ प्रान्तों में तो बहुत ज्यादा है। लोग विश्वास में चल पड़ते हैं कि हम पैदल चलकर के, त्याग करके, शरीर को कष्ट देकर के जाएंगे, जल चढ़ाएंगे, देवता खुश हो जाएंगे, हमारे पुत्र-परिवार में बढ़ोतरी कर देंगे, धन की कमी नहीं रहेगी, इस विश्वास में जाते हैं। सच पूछो तो मनुष्य शरीर पाने का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं। कारण क्या है? कोई बताने वाला नहीं मिला।

आगे का नहीं सोचोगे तो इसी में उलझकर हो जाओगे खत्म

जब ऐसे लोग मिल गए की पहलवानी करो, बॉडी बना लो, कुश्ती में जीत जाओगे, दो-चार करोड रुपए मिल जाएंगे, मैडल मिलेगा, नाम हो जाएगा तो वह तो पहलवानी करने में ही लगे हुए हैं। जब ऐसे आदमी मिल गए कि तुम दौड़ लगाओ, क्रिकेट खेलो, हॉकी फुटबॉल खेलो इसकी मांग ज्यादा है तो बच्चे पढ़ाई छोड़ करके उसी में जा रहे हैं। तो जहां जैसे लोग मिल जाते हैं, उसी तरह से आदमी करने लग जाता है और असली चीज से अलग हो जाता है। लेकिन आगे कुछ करने का नहीं सोचोगे, आगे की जानकारी अगर आपको नहीं हो पाएगी तो इसी में फंस करके आप खत्म हो जाओगे।

गीता रामायण पुस्तकें गलत नहीं, यह मार्गदर्शिका बीजक है

दोबारा मनुष्य शरीर मिलने वाला नहीं है। मनुष्य शरीर का उपयोग किस प्रकार करना चाहिए? मनुष्य शरीर किस लिए मिला? इसकी जानकारी होनी चाहिए। यह भगवान के दर्शन के लिए मिला। लेकिन इतने आदमी बैठे हुए हो, अभी पूछा जाए कि किसी को हुआ? तो कोई हाथ नहीं उठाओगे। सोचो, भगवान का दर्शन क्यों नहीं होता जैसे बहुत लोगों को हुआ? गीता रामायण आदि पुस्तकें गलत नहीं, यह मार्गदर्शिका बीजक है। इनको समझाना जरुरी होता है। जब वह चीज समझ में आ जाती है, उसमें जो चीज लिखा हुआ जब कोई जानकार बता देता है तो मालूम हो जाता है कि भगवान का दर्शन इसी मनुष्य शरीर में होता है। यदि प्रभु मिल गया तो उसी की बनाई सारी दुनिया और इसी संसार की भी चीजें भी मिलना आसान हो जाएंगी और हमारा मुक्ति- मोक्ष भी हो जाएगा, हमको जन्मना-मरना नहीं पड़ेगा, इस दु:ख के संसार में दुःख झेलने के लिए दोबारा आना नहीं पड़ेगा। नहीं तो ऐसे ही भटकते रहोगे जैसे और लोग भटक रहे हैं।

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