धर्म कर्म: बिना कोई भेदभाव किए सभी को सही शिक्षा देने वाले, अंदर की तीसरी दिव्य आँख खोलने का मार्ग नामदान देने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कबीर साहब ने हिंदू मुस्लिम दोनों की बात की, कोई भेद भाव नहीं रखा। उनसे एक आदमी ने पूछा भी कि आप हिंदू हो या मुसलमान? कहा हिंदू मुझको न कहो, मुसलमान भी नाहिं, पांच तत्व का पुतला, गैबी खेले माहि। इस (शरीर में) में उस प्रभु की लीला हो रही, गैब इसमें खेल रहा है, अपना करिश्मा दिखा रहा है। यह पांच तत्वों का पुतला है। पुतला जैसे कागज का पतला सा बना देते हो ऐसे यह शरीर पुतले की तरह से ही है। जब जीवात्मा निकल जाती है, इसकी कोई कीमत नहीं रह जाती। इसमें गैबी खेलता रहता है। जब उसकी धार आती रहती है तब यह शरीर चलता रहता है। तो कहा कि हमारी तो कोई जात नहीं। जात न पूछे सन्त की, पूछ लीजिए ज्ञान, मोल करो तलवार का, पड़ी रहने दो म्यान। जैसे तलवार की कीमत लगाई जाती है, म्यान की नहीं। ऐसे ही गुण, अच्छाई देखनी चाहिए कि उनके अंदर क्या (अच्छी चीज) है, वो चीज लेनी चाहिए।
मथुरा, द्वारिका, काशी, काबा इसी मानव मंदिर-जिस्मानी मस्जिद में है
सकल पदार्थ है जग माहि, कर्म हीन नर पावत नाहीं। कर्म न करने की वजह से आदमी को नहीं मिलता है। यहाँ सब कुछ तो है। यह घट भीतर सात समुंदर, यही में मल मल नहाओ, मन मोरा विदेशवा न जाओ, घर ही चाकरी, यह घट भीतर कल्प वृक्ष, ताहि के नीचे छांव, मन मोरा विदेशवा न जाओ। सब कुछ तो इसी में है। इसी में गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, इसी में तीर्थ, इसी में मथुरा, द्वारिका, काशी, काबा सब इसी में तो है। इसी मानव मंदिर/ जिस्मानी मस्जिद में सब कुछ है। यहां बैठ कर के वह काबा काशी अयोध्या मथुरा नहीं देख सकते हो लेकिन जो अंदर की आंख है वो अगर खुल जाए तो सब कुछ आपको यहीं दिखाई पड़ सकता है। तो उपाय आपको बताता हूं बच्चे-बच्चियों बैठो, आपको नामदान देता हूँ।
जो भगवान से प्रेम, खुदा से मोहब्बत करने लग जाएगा वह दुश्मन किसी का नहीं रह जाएगा
देश प्रेम बनाए रखना। देश की संपत्ति आपकी अपनी संपत्ति है। तोड़फोड़ आंदोलन हड़ताल धरना आगजनी लूटपाट हिंसा-हत्या से कोई काम होने वाला नहीं है। इनसे दूर रहना। किसी की निंदा मत करना, चाहे कोई राजनेता, पंडित मुल्ला पुजारी, धार्मिक ग्रंथ हो, मजहबी किताब हो, कोई जाति, धर्म किसी की निंदा बुराई मत करो। भाई-भतीजावाद, कौमवाद, एरियावाद, भाषावाद आदि के चक्कर में मत पड़ो। आप अच्छा समाज बनाओ। मानववाद लाओ। लोगों को ईश्वरवादी खुदा परस्त बनाओ। जो ईश्वर खुदा से मोहब्बत करने लगेगा, वो सबका दोस्त हो जाएगा, दुश्मन किसी का नहीं रह जाएगा। जो लोग मजहबी धार्मिक होते हैं, सबकी क़द्र, इज्जत करते हैं इसलिए धार्मिक बनो। लोगों के अंदर मोहब्बत प्यार की जगह बनाओ। प्यार का जज्बा पैदा करो। आप अब अच्छा समाज बनाने में लग जाओ। लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त, गुरु भक्त, मातृ पितृ भक्त बनाओ। अब आप इस काम में लगो। आपको मालिक देगा, कोई कमी नहीं छोड़ेगा। ये जो बता रहा हूं उसे करके तो देखो। बोलो जयगुरुदेव।