धर्म कर्म; गुरु ही गोविंद यानी भगवान से मिलाते हैं, तो जीते जी भगवान् से मिलाने वाले, पूरे सच्चे समर्थ आध्यात्मिक सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 28 अप्रैल 2022 को उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इस धरती पर बहुत से सन्त आये लेकिन वह गति जो गुरु महाराज की थी, वह पावर जो उनको सतपुरुष ने दे रखा था वह किसी के पास नहीं था। पहले भी नहीं था, आगे की बात तो नहीं कह सकता हूं और इस समय भी नहीं है। गुरु महाराज ने अपने गुरु के आदेश का पूरा पालन किया और अकेले सक्षम होते हुए भी इस काम में गुरु का बराबर सहारा लेते रहे। क्योंकि गुरु के बगैर सहारे के, गुरु के बगैर आदेश पालन के आदमी कामयाब नहीं होता है।

ऐसे निश्चित होगा कि इसी बार अपने घर पहुंच जाओगे

जब यह जीवात्मा इस शरीर से निकल कर शब्द को पकड़कर सतलोक में पहुंचती है तो वहाँ सारा भेद खत्म हो जाता है। स्थूल, लिंग, सूक्ष्म, कारण यह सारे शरीर छूट जाते, यहीं उतर जाते हैं जब शब्द अपनी तरफ खींचता है, जो वहाँ से उतर रहा है। जीवात्मा वहां जब पहुंचती है तब सब एक तरह से हो जाते हैं। लेकिन वहाँ भी गुरु को अगर याद करते है तो गुरु उसी रूप में भी मिल जाते हैं। तो गुरु का बहुत बड़ा महत्व, स्थान है। गुरु महाराज अपने गुरु महाराज को बराबर याद करते रहते थे तो गुरु की दया से उनको बहुत बड़ी कामयाबी मिली। जो गुरु महाराज के शिष्य है आप भी अगर गुरु महाराज को याद करते रहोगे और गुरु महाराज के बताए रास्ते पर उनकी दया ले करके चलोगे, उनके बताए नियम-कानून का, संयम-नियम का पालन करते रहोगे तो इसमें कोई दोराय नहीं है कि दुबारा फ़िर आपको इस दुनिया में आना न पड़े, आप अपने घर न पहुंच पाओ। निकल जाओगे।

गलत खान-पान से गलत चाल-चलन, मन भटकता है और धन-मान कमाने के भूत चढ़ते हैं

लेकिन जब विश्वास में कमी आ जाती है तब आदमी का मन भटक जाता है। इधर-उधर माया भटका देती है। जब इधर-उधर से कभी खान-पान गलत हो जाता है तब विश्वास में कमी आती है। गलत खान-पान से चाल-चलन बिगड़ जाता है। इसीलिए बराबर निरख-परख करते रहना चाहिए। मान सम्मान, धन-दौलत कमाने, प्रतिष्ठा बढ़ाने का भूत कब सवार होता है? वही जब अन्न, दल, संघ का असर होता है और वह आ जाता है। तो बराबर परमार्थियों को इससे बचना चाहिए। कैसे बचा जाए? कैसे किन-किन चीजों से बचा जाए? यह बातें आपको सतसंगों में बताया जाता रहा है।

चाहे जहां हाथ डालोगे, सफलता कदम चूमेगी

यह मनुष्य शरीर आपको भगवान के प्राप्ति, दर्शन करने के लिए मिला है। लेकिन यदि रास्ता आपको नहीं मिलेगा तो दर्शन नहीं हो सकता। भगवान अगर मिल जाएंगे, उनकी आवाज सुनने को मिल जाएगी, उनका दर्शन हो जाएगा तो आपके अंदर निखार आ जाएगा, आपका व्यक्तित्व चमक जाएगा। आप जहां भी हाथ डालोगे, चाहे दुनिया का काम हो, चाहे ऊपर के लोकों की सफलता हो, सफलता आपका कदम चूमेगी। इसलिए एक निशाना आपको बनाना है। एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए। जब तक मान-सम्मान, धन-दौलत, विद्वता-ज्ञान का भूत सवार रहता है तब तक सन्तों की बात समझ में नहीं आती। सन्त मनुष्य शरीर में होने से वैसा व्यवहार करते हैं लेकिन उनकी देख-रेख, अनुभव, ज्ञान, बुद्धि, दुनिया से बहुत अलग होती है।

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