धर्म-कर्म: अपने अपनाए जीवों पर दया लुटाने का बहाना ढूंढने वाले, व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए सही शिक्षा सही समय पर सबको देने वाले महान समाज सुधारक, भारत को विश्वगुरु बनाने में लगे पक्के देशभक्त, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, देश भक्ति और गुरु भक्ति बड़ी चीज है। इसे बनाये रखना। देश की सम्पत्ति आपकी अपनी सम्पत्ति है। आप सब देश प्रेम बनाए रखना। हड़ताल, तोड़फोड़, आंदोलन, धरना, घेराव, हिंसा-हत्या, आत्महत्या कभी भी मत करना। इससे नुकसान ही नुकसान है, फायदा नहीं है।
इसकी संपत्ति को नुकसान करोगे तो आगे आपको ही देना पड़ेगा
यह देश आपका अपना देश है। इसकी संपत्ति को अपना समझो और ज्यादा चक्कर में मत पड़ना। राष्ट्र को अपना समझो, अपना मानो। यहां अगर आप कोई नुकसान करोगे, आपकी वजह से हड़ताल तोड़फोड़ आगजनी से अगर नुकसान होता है तो आपका ही नुकसान होगा, आपको ही भरना पड़ेगा, टैक्स के रूप में, किसी न किसी रूप में। अपनी मेहनत की कमाई इधर देनी ही पड़ेगी। मजबूरन दोगे ऐसा नियम बन जाएगा कि देना ही देना पड़ेगा।
देश का जिससे नुकसान हो, तिफरका पैदा हो, ऐसा कोई काम न करो
देश को आजाद कराने में लोगों ने बहुत कुर्बानी दिया, मेहनत किया। देश के लोगों की आजादी खत्म न हो जाए इसलिए इसको बनाए रखना जरूरी है। कोई भी काम ऐसा न करो कि जिससे देश का, देश की संपत्ति का नुकसान हो, देश के प्रति कोई भी तिफ़रका पैदा हो, जो नियम कानून के खिलाफ हो। नियम-कानून का पालन करो, अधिकारियों कर्मचारियों का सम्मान करो। जातिवाद, भाई-भतीजावाद, भाषावाद, आतंकवाद भूल करके सिर्फ मानववाद लाओ।
यहां पर मानव धर्म की बात सिखाई जाती है
हमारे यहां समानता, मानव और मानवता की बात है। यहां कोई जाति धर्म पर जोर नहीं दिया जाता। यहां तो मानव धर्म सिखाया जाता है। सत्य अहिंसा परोपकार सेवा यह है मानव धर्म। यहां देशभक्ति सिखाई जाती है। हड़ताल तोड़फोड़ धरना घेराव से लोगों को दूर रहना सिखाया जाता है, देश की संपत्ति को अपना मानना सिखाया जाता है।