धर्म-कर्म: बुद्धिजीवियों, देश के जिम्मेदारों को देश समाज की खराब होती हालत से वाकिफ कराने वाले, समस्या को जड़ से ख़त्म करने का हल बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त वक़्त गुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि कुछ अगल-बगल के देश हर तरह से भारत की शक्ति को क्षीण करना चाहते हैं। जैसे आदमी कमजोर हो गया, मेमोरी लॉस, स्मरण शक्ति कमजोर हो गई तो क्या आप मुकदमा जीत पाओगे? दफ्तर, खेती, नौकरी का काम कर पाओगे? कुछ नहीं। क्षीण शरीर, बेहोश आदमी किसी काम का नहीं रहेगा। समाचार में आये दिन आता है नशीली गोलियों के खेप के खेप ड्रोन से भेजे जा रहे। अगर एक बार आदत बन गई तो उसको तो वही चीज चाहिए। आप, विशेषकर जो क्रीम ब्रेन के लोग हो, इस पर विचार करो। नहीं कुछ तो अपने-अपने स्तर से ही सही, कुछ न कुछ प्रयास करो।
प्रेमियो! पहले खुद के अंदर की कमियां निकालो तब आपकी बात का प्रभाव पड़ेगा
आपके प्रयास का सबसे ज्यादा प्रभाव कहां पड़ेगा? अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों पर। उन्हीं में देखो कि किसी में ऐसी कोई आदत तो नहीं आ रही है। बुराई आ भी गई तो अच्छे का संग़ कराओ तो अच्छे बन जाएंगे। बहुत से बच्चों का छूट गया। बिगड़ गए थे। कुल खानदान में कलंक बन गए थे। उनके जेब में असलहे पड़े रहते थे, अब वह माला जपने लग गए, साथ का असर पड़ गया। आपके अंदर की कमी को दूर करोगे तभी तभी उसका प्रभाव पड़ेगा। नहीं तो यही होगा की हाथी का दांत खाने का अलग, दिखाने का अलग।
देश-समाज की हालत इस समय बहुत खराब हो रही
बिगड़ते, बुराइयां ग्रहण करते नौजवान के लिए आपको सोचने, समझने, विचार करने की जरूरत है। आप बुद्धिजीवी, पढ़े-लिखे लोगों का बहुत बड़ा समाज है। अपने-अपने स्तर से अगर लगेंगे तो देश भी बचेगा, धर्म का होता ह्रास भी रुकेगा, अध्यात्म की बेल बढ़ेगी, लोगों को सुख-शांति मिलेगी, समय पर जाड़ा-गर्मी-बरसात होगा, घर-घर का लड़ाई-झगड़ा, टेंशन खत्म होगा, जब तक आदमी यहां (दुनिया में) रहेगा, सुखी रहेगा।
अगर नामदान लेकर एक घंटा सुबह-शाम साधना करने लग जायेंगे तो नरक चौरासी से बच जाओगे
ध्वन्यात्मक नाम जैसा मैंने बताया, अगर ले लिया, उसको अगर करने लग गया, 24 घंटे में 1 घंटा सुबह-शाम लेने लग गया, तो यह जीवात्मा नर्क और चौरासी से बच जाएगी, दुबारा इस दुनिया में जन्म लेने के लिए, जन्मते-मरते समय की पीड़ा को झेलने के लिए नहीं आएगी और हमारा-आपका ये मानव जीवन सफल हो जाएगा।