UP CRIME: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी आसाराम, जो जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, उनकी तबीयत उम्र के साथ बिगड़ती जा रही है। इस कारण, उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए पैरोल पर रिहाई दी गई है। इस साल अगस्त में, आसाराम को 7 दिन की पैरोल मिली थी, जिसके दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के माधोबाग आयुर्वेद अस्पताल में इलाज कराया। बाद में, उनकी पैरोल 5 दिन और बढ़ाई गई, लेकिन लंबी अवधि तक वहां नहीं रखा जा सकता था, इसलिए उन्हें फिर से जोधपुर जेल भेज दिया गया।

इसके बाद, आसाराम ने राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच में लंबी पैरोल के लिए अर्जी दी। 7 नवंबर को हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार करते हुए, उसे 30 दिन की पैरोल दे दी। अब, आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से पुलिस कस्टडी में लेकर निजी आयुर्वेद अस्पताल भेजा गया है, जहां वह आयुर्वेद पद्धति से इलाज करवाएगा।

आसाराम के इलाज का खर्च खुद उसे ही वहन करना होगा, और यह उसकी 11 साल में दूसरी बार पैरोल है। इससे पहले भी 2013 से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद आसाराम को इलाज के लिए पैरोल दी जा चुकी है। आसाराम को 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया था और अप्रैल 2018 में जोधपुर की निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

आसाराम के वकील ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि उसे तब तक पैरोल दी जाए जब तक उसका इलाज जारी रहे, लेकिन सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया और 30 दिन की पैरोल देने की मांग की, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। आसाराम का यह मामला समाज में विवादों का कारण बना हुआ है, खासकर उनकी सजा के बाद की परिस्थितियों को लेकर, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के तहत उन्हें चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है।

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