छात्रों की मुख्य मांगें:
- परीक्षाओं का आयोजन एक दिन में एक शिफ्ट में: छात्रों का कहना है कि परीक्षा प्रदेश के सभी 75 जिलों में होनी चाहिए, ताकि एक ही दिन में परीक्षा ली जा सके। इससे नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे उनके अनुसार परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता बनी रहेगी।
- नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का विरोध: छात्रों का आरोप है कि आयोग नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल कर के परीक्षा में भ्रामक परिणाम उत्पन्न कर सकता है, जो कि उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वे सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहते हैं कि एक बार परीक्षा शुरू हो जाने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता।
- आयोग से लिखित आश्वासन की मांग: छात्र आयोग से लिखित आश्वासन चाहते हैं कि उनकी मांगें मानी जाएंगी। उनका कहना है कि जब तक उन्हें इस बारे में ठोस आश्वासन नहीं मिलता, वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे और घर लौटने का नाम नहीं लेंगे।
यूपीपीसीएस प्री 2024 और आरओ/एआरओ 2023 परीक्षाएं:
UPPSC ने यूपीपीसीएस प्री 2024 परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को और आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, छात्रों का कहना है कि दोनों परीक्षाएं एक दिन में एक शिफ्ट में आयोजित की जाएं। इस तरह से नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी और परीक्षाओं में पारदर्शिता रहेगी।
आयोग का बयान:
UPPSC ने छात्र प्रदर्शन के बाद एक बयान जारी किया है, जिसमें आयोग ने कहा कि परीक्षा केंद्रों का चयन इस उद्देश्य से किया गया है कि कहीं कोई गड़बड़ी न हो और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे। आयोग का कहना है कि दूर-दराज के क्षेत्रों में कई बार परीक्षा में गड़बड़ियों के मामले सामने आए थे, जिससे छात्रों के परिणाम पर असर पड़ता था। आयोग ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और मेरिट आधारित रखना है, और यही कारण है कि दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। आयोग ने यह भी कहा कि कुछ अराजक तत्व और नकल माफिया छात्रों को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं, और छात्रों को इस प्रकार की सूचना से सावधान रहने की सलाह दी है।
क्या होगा अगला कदम?
फिलहाल, यूपीपीसीएस परीक्षा और अन्य संबंधित परीक्षाओं के आयोजन पर छात्रों और आयोग के बीच विवाद जारी है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपने विरोध को समाप्त नहीं करेंगे। आयोग ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि आगामी दिनों में यह विरोध और बढ़ सकता है। यह एक संकेत है कि छात्रों के लिए परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की महत्वता बढ़ी है, और ऐसे मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।