Ganga Bridge Collapse: कानपुर में स्थित ऐतिहासिक गंगा पुल का एक हिस्सा आज सुबह अचानक गिर गया, जिससे इस पुराने और महत्वपूर्ण पुल की जर्जर स्थिति की एक बार फिर पुष्टि हो गई। यह पुल 150 साल से अधिक पुराना था और ब्रिटिश काल में 1875 में अंग्रेजों ने इसे कानपुर को लखनऊ से जोड़ने के लिए बनाया था। यह पुल आजादी की लड़ाई का भी गवाह रहा है, जब क्रांतिकारियों पर अंग्रेजों ने यहां से फायरिंग की थी।

पुल का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक था और इसके ऊपर से यातायात चलता था, जबकि नीचे से साइकिल और पैदल यात्री गुजरते थे। यह पुल कानपुर से उन्नाव और लखनऊ जाने का मुख्य मार्ग हुआ करता था। हालांकि, पुल के पिलर्स में आई दरारों और जर्जर स्थिति के कारण, इसे चार साल पहले कानपुर प्रशासन द्वारा पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। शुक्लागंज और कानपुर दोनों छोर पर दीवारें उठाकर इस पुल पर आवाजाही रोक दी गई थी। इसके बावजूद, पुल को धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए नगर निगम द्वारा इसका रखरखाव किया जा रहा था और इसके सौंदर्यीकरण पर कई करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

हालांकि, पुल के जर्जर होते पिलर्स और दरारों की समस्या को लेकर कानपुर IIT द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट किया गया था कि यह पुल अब सुरक्षित नहीं है और कभी भी गिर सकता है। इस चेकिंग के बाद ही जिला प्रशासन ने पुल को फिर से खोलने से मना कर दिया था। गंगा पुल के गिरने के बाद अब प्रशासन ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है और यहां आने-जाने वाले लोगों को रोक दिया गया है। पुलिस का कहना है कि पुल में और भी दरारें हैं और इसके गिरने का खतरा अभी भी बना हुआ है।

गंगा पुल का ऐतिहासिक महत्व:
1875 में अंग्रेजों ने कानपुर और लखनऊ को जोड़ने के लिए इस पुल का निर्माण कराया था। यह पुल सात साल में बनकर तैयार हुआ था और इसका निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों ने किया था।
यह पुल 1.38 किलोमीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा था, और रोजाना लगभग 22,000 वाहन और 1.25 लाख लोग इसका उपयोग करते थे।
1910 में इसी पुल के पास एक रेलवे ब्रिज भी बनवाया गया था, जिससे यह और भी महत्वपूर्ण बन गया था।
पुल के गिरने से उन्नाव जिले के शुक्लागंज क्षेत्र में रहने वाले लगभग 10 लाख लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यह पुल उनके लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग था। पुल को फिर से चालू करने की कोशिशें भी की गई थीं, लेकिन तकनीकी और सुरक्षा कारणों से इसे फिर से खोलने का निर्णय नहीं लिया गया।

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