UP: उत्तर प्रदेश में पान मसाला उद्योग पर शासन की सख्ती ने हलचल मचा दी है। प्रमुख सचिव एम. देवराज के निर्देश पर लखनऊ, कानपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में पान मसाला इकाइयों के बाहर 24 घंटे शिफ्टवार निगरानी की जा रही है। अकेले लखनऊ और कानपुर में 54 टीमें इस कार्य में तैनात हैं। इससे उत्पादन पर गहरा असर पड़ा है, वहीं नकली उत्पाद और टैक्स चोरी से जुड़े मसालों की तस्करी बढ़ गई है।

सख्त आदेश और प्रावधान:
प्रदेश भर की पान मसाला फैक्ट्रियों के बाहर 12-12 घंटे की शिफ्ट में अधिकारियों की तैनाती की गई है। आदेशानुसार: सभी वाहनों की ई-वे बिल स्कैनिंग अनिवार्य है। अधिकारी बॉडीवार्न कैमरा पहनकर निगरानी करेंगे। टीमों को निर्देश है कि स्थान तभी छोड़ें जब दूसरी टीम तैनात हो जाए। किसी भी वाहन की बिना स्कैनिंग आवाजाही पर सख्त कार्रवाई होगी। यह व्यवस्था फिलहाल 30 नवंबर तक लागू रहेगी। हालांकि, अधिकारियों को व्यापारियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखने का भी निर्देश दिया गया है।

नकली पान मसाला का बढ़ता खतरा:
सख्ती के चलते कानूनी फैक्ट्रियों का उत्पादन लगभग ठप हो गया है। प्रमुख ब्रांड जैसे पुकार, शिमला, कमला पसंद, शिखर, दबंग और किसान पान मसाला की फैक्ट्रियां जांच के दायरे में हैं। इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, पांच बड़े उद्यमी उत्तर प्रदेश छोड़कर राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और गुड़गांव में इकाइयां लगाने की योजना बना रहे हैं। उधर, नकली पान मसाला की तस्करी तीन गुना तक बढ़ गई है। नकली उत्पादों पर टैक्स नहीं लगता, जिससे सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान हो रहा है।

राजस्व पर प्रभाव:
पान मसाले पर 28% जीएसटी और 60% सेस लागू है, जिसमें से सेस पूरी तरह केंद्रीय जीएसटी को जाता है। राज्य कर विभाग की जांच ने केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उत्पादन ठप होने से राजस्व पर असर पड़ रहा है।

निगरानी के बाद की स्थिति:
शासन की इस सख्ती से पान मसाला उद्योग पलायन की कगार पर है। नकली उत्पादों की बाढ़ और टैक्स चोरी से राजस्व में भारी कमी देखने को मिल रही है। हालांकि, शासन की कोशिश है कि टैक्स चोरी और अवैध कारोबार पर रोक लगाई जाए, लेकिन इससे वैध उद्योगों के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं।

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