Jai Gurudev Satsang: इस समय के पूरे समर्थ सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा के सत्संग मे बताया कि महात्माओं ने उदाहरण दे-देकर के समझाया कि दिन मे उजाला है और रात आते ही अंधेरा हो जाएगा, इसी तरह से तुम्हारे जीवन में एक दिन अंधेरा हो जाएगा। आंखे बंद होने पर अंधेरा हो जाता है। चाहे दिन हो या चाहे रात हो, आंख बंद कर लो तो अंधेरा हो जाएगा । जब आंख बंद हो जाएगी तो कोई भी चीज तुम्हारे काम आने वाली नहीं है। न यह शरीर तुम्हारा काम आएगा, न बीवी-बच्चे और न ही वह काम आएगा जिनको बच्चियों तुम पति परमेश्वर कहती हो। घर-परिवार के लोग, रिश्तेदार सब खड़े-खड़े देखते ही रह जाएंगे। कहते हैं न कोई कितना भी बलवान धनवान हो, बहुत बड़े ओहदे पर हो, लेकिन मरने वाले को कोई नहीं बचा सकता है। जब यमराज के नुमाइंदे आते हैं, आवाज लगाते हैं तब उससे कोई बच नहीं सकता है। कोई कितना भी रोये, चिल्लाए, सर पटके, माफी मांगे, माफी का वक्त उस समय पर खत्म हो जाता है।

सभी नामदानी थोड़ी देर के लिए माया को पीछे छोड़ दो
आपको समझना चाहिए कि यह धन- दौलत, रुपया-पैसा कमाने में जो लगे हुए हो, इकट्ठा करने में लगे हुए हो, यह परछाई की तरह से है और परछाई किसी के काम नहीं आती है। परछाई को कोई पकड़ने लगे, उससे कहे कि हमारी मदद कर दो तो किसी की मदद नहीं कर सकती । यह तो माया की छाया है।

माया छाया एक सी, बिरला जाने कोय।
भगता के पीछे लगे, सम्मुख भागे सोय।

आप जो नामदानी हो आपको बताया गया थोड़ी देर के लिए माया को पीछे छोड़ दो।

माया किसको कहते हैं

रुपया-पैसा, धन-दौलत, औरत यह सब माया में ही गिने जाते हैं। यह सारे माया के पसारे में हैं, थोड़ी देर के लिए इनको भूलो, छाया समझो कि हमारे काम आने वाला नहीं है। आपको इसलिए समझाया जाता है।

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