Baba Jai Gurudev Satsang: विश्व विख्यात निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, वक्त गुरु परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बलरामपुर में दिए सतसंग संदेश में बताया कि इस मनुष्य शरीर से जो कर्म हमारे जान-अनजान में बन जाते हैं, वही हमें तकलीफ देते हैं। आज के समय में यदि मनुष्य को ये जानकारी हो जाए कि क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए, किस तरह से रहना चाहिए, पारिवारिक रिश्तों में एक दूसरे से कैसा व्यवहार करना चाहिए, पति पत्नी का एक दूसरे के प्रति क्या फर्ज होता है, तो ये गृहस्थ आश्रम लोगों को स्वर्ग की भांति सुख देने लगेगा।
ईश्वरवादिता किसे कहते हैं ?
भगवान से प्रेम करना, कुदरत के बनाए नियमों का पालन करने को ही ईश्वरवादिता कहते हैं। इसी को लोग आज भूल रहे हैं। अगर किसी न किसी प्रकार से लोग भगवान को याद करने लग जायें, भगवान को समझने लग जायें, तो लोगों को दैनिक जीवन में लगी समस्याओं में राहत मिल सकती है। जो ईश्वर सभी की फिक्र करता है, मेहनत व ईमानदारी की कमाई करने पर बरकत दिलाया करता है, उस पर विश्वास करो।
कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा
पूर्व में, इतिहास में कई संतों ने इस कलयुग में ही सतयुग आने की बात का जिक्र किया है। आज यदि सतयुग जैसा वातावरण हो जाए, लोग दयालु-कृपालु हो जायें, सत्य, अहिंसा, सेवा और परोपकार रूपी मानव धर्म को धारण कर लें, तो सब सुखी हो जायेंगे। सतयुग में किसान एक बार फसल बोता था और सताईस (27) बार काट लिया करता था। ये धरती धन-धान्य से परिपूर्ण थी। मानवीय आचरण लोग रखते थे। वैसा समय अगर आ जाए तो कोई दिक्कत ही नहीं रह जाएगी।
रोज के बने कर्म कैसे कटेंगे ?
जिस प्रकार से घर पर रोज झाड़ू लगाए जाने से हमेशा साफ-सफाई बनी रहती है, उसी प्रकार से वक्त गुरु द्वारा अमोलक नामदान मिल जाने पर रोज नियम से सुमिरन, ध्यान और भजन के द्वारा गुरु की दया लेकर कर्मों की सफाई होती है। विश्वास के साथ निरंतर लगे रहने से, दीन भाव से उस मालिक को पुकारने से वो सुनता है।