UP: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन का दावा है कि बिजली कंपनियों में बड़े पैमाने पर अभियंताओं के निलंबन के चलते अब 8 से अधिक मुख्य अभियंता स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने की तैयारी कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार होगा।
बैठक में रोष और मांग:
रविवार को फील्ड हॉस्टल में एसोसिएशन की बैठक आयोजित की गई, जिसमें अभियंताओं पर की गई कार्रवाई को लेकर गहरा रोष व्यक्त किया गया। पदाधिकारियों का कहना है कि पहली बार इतने मुख्य अभियंता अपने मान-सम्मान को बचाने के लिए नौकरी के अंतिम समय में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुन रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, और अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले की गोपनीय जांच कराई जाए ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
निजीकरण के विरोध में अभियंताओं का आंदोलन:
बिजली विभाग में निजीकरण के खिलाफ अभियंता आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। झांसी में रविवार को आयोजित बिजली पंचायत में अभियंताओं और कर्मियों ने संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। 1 जनवरी को पूरे प्रदेश में अभियंता और अन्य कर्मी काली पट्टी बांधकर “काला दिवस” मनाएंगे। पंचायत में वक्ताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली विभाग में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। वर्ष 2016-17 में 41 प्रतिशत लाइन हानियां थीं, जो 2023-24 में घटकर 17 प्रतिशत रह गई हैं। अभियंता इसे अगले 1-2 वर्षों में 15 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
निजीकरण की घोषणा से असंतोष:
बिजली विभाग में सुधार का माहौल बन रहा था, जिसे पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन द्वारा अचानक निजीकरण की घोषणा से बिगाड़ दिया गया। इससे कर्मचारियों और अभियंताओं में भारी नाराजगी है। 5 जनवरी को प्रयागराज में अगली बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। झांसी की पंचायत में उरई, महोबा, ललितपुर, और झांसी के कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।