Lucknow Crime: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर एक शर्मनाक वारदात की गवाह बनी। एक ब्यूटीशियन युवती, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर रही थी, उसकी जिंदगी को दरिंदगी ने लूट लिया। चलती कार में उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई और जब उसने विरोध किया, तो उसे चाकू मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। ये कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सवाल वही है — कब जागेगा प्रशासन? कब मिलेगी हमारी बहनों-बेटियों को सड़कों पर आज़ादी और सुरक्षा?
मिली जानकारी के मुताबिक 1 बजे ब्यूटीशियन काकोरी क्षेत्र में मेहंदी लगाने के लिए निकली थी. काकोरी के रामदासपुर गांव निवासी सुधांशु ने फोन कर उसे मेहंदी लगाने के लिए बुलवाया था.जिसके बाद रात में लाल कलर की कार से अजय , विकास और आदर्श उसे लेने पहुंचे. मेहंदी लगाने ब्यूटीशियन के साथ उसकी बहन भी गई थी. मेहंदी लगाकर जब दोनों कार से वापस आ रहीं थीं. इस दौरान दोनों से दुष्कर्म का प्रयास किया गया. वहीं, जब दोनों ने विरोध किया तो आरोपियों ने ब्यूटीशियन की चाकू घोंपकर हत्या कर दी और बहन को भी मारा-पीटा.
आखिर कब तक?
कभी दफ्तर से लौटती लड़की, कभी बाज़ार से आती बहन, कभी कॉलेज जाती छात्रा — हर कोई आज खौफ के साये में जी रही है। घर से निकलते वक़्त हर माँ-बाप की आंखों में डर होता है कि उनकी बेटी सुरक्षित लौटेगी या नहीं। हर बार कुछ दिन मीडिया में शोर होता है, कुछ नेताओं के बयान आते हैं, और फिर सब कुछ भूलकर ज़िन्दगी उसी ढर्रे पर चलने लगती है। लेकिन उन घरों का क्या, जहाँ बेटियां कभी वापस नहीं लौटतीं?
क्या सिर्फ कानून बनाना काफी है?
सरकारें महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं, नए कानून भी बनते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत आज भी वही है। असल ज़रूरत है उन कानूनों को सख्ती से लागू करने की, दोषियों को ऐसी सजा देने की जो नजीर बने। सिर्फ पुलिस या प्रशासन ही नहीं, हमें भी अपनी सोच बदलनी होगी। लड़कियों को अपने हक़ की लड़ाई में अकेला छोड़ना अब बंद करना होगा।