लखनऊ। रेलवे ठेके-पट्टे का सिंडिकेट चला रहा माफिया व हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया की गुरुवार को रिमांड अवधि खत्म हो गई। 60 घंटे की पूछताछ में सुरेंद्र ने अफसरों को खूब छकाया। लेकिन, कई साक्ष्यों के साथ पूछताछ कर रहे अफसरों के सामने उसकी एक नहीं चली। एडीसीपी सेंट्रल चिरंजीवी नाथ सिन्हा ने उसके सामने एक सेलफोन नम्बर की कॉल डिटेल रखी। पूछा ये नम्बर किसका है और इस पर आपकी दर्जनों बार बात हुई है। काफी देर तक इधर-उधर की बात करने के बाद सुरेंद्र ने कुबूला कि फोन नम्बर पूर्वांचल के एक पूर्व विधायक के रिश्तेदार का है और इसी की मदद से कोलकाता पहुंचा था, जहां वह पकड़ा गया।

एडीसीपी सेंट्रल ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया को घटनास्थल भी ले जाया गया, यहां भी वह ज्यादा नहीं बता सका। सवालों में उलझने लगा तो उसने चुप्पी साध ली। यहां से लौटते समय उसने पुलिस को घटना में इस्तेमाल की गई एक और पिस्टल बरामद कराई। अब पुलिस को घटना में इस्तेमाल तीनों पिस्टल बरामद हो गई है। सुरेन्द्र की रिमांड अवधि गुरुवार सुबह 10 बजे खत्म हो गई। उसके साथ ही सुरेंद्र को पुलिस कस्टडी में जेल भेज दिया गया है।
मिला मुख्तार कनेक्शन
हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया का मुख्तार कनेक्शन मिला है। दरअसल, सुरेंद्र को कोलकाता पहुंचाने में मुख्तार अंसारी गिरोह ने ही मदद की थी। रिमांड पूछताछ में सुरेंद्र कालिया ने कुबूला कि मुख्तार के करीबी एक पूर्व विधायक के रिश्तेदार ने ही उसे कोलकाता पहुंचाने में मदद की थी। पूर्व विधायक मुख्तार का काफी खास बताया जाता है। इस दौरान सुरेंद्र और उस शख्स ने नया सिम कार्ड इस्तेमाल किया था। यह बात पिछले साल भी सामने आयी थी, तब इस मददगार के घर विभूतिखंड पुलिस ने दबिश भी दी थी। पुलिस का दावा है कि कुछ और साक्ष्य मिलने पर इस शख्स के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

यह है पूरा मामला
बीते 13 जुलाई को सुरेंद्र ने खुद पर फायरिंग कराकर पूर्व सांसद धनंजय सिंह को फंसाने की कोशिश की थी। इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज और एफआईआर में विरोधाभास होने पर हो गया था। इसके बाद वह फरार हो गया था। बाद में कोलकाता में नाटकीय तरीके से उसकी गिरफ्तारी हुई थी। 24 मई को उसे लखनऊ जेल लाया गया। एक जून से वह रिमांड पर है। बुधवार को सुरेंद्र कालिया ने कुबूला था कि धनंजय उसकी हत्या कराना चाहते थे, इसलिए उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाया। पुलिस के सामने उसने और भी कई राज खोले थे। 60 घंटे में डीसीपी सेंट्रल सोमेन वर्मा व एडीसीपी सेंट्रल चिरंजीव नाथ सिन्हा ने लम्बी पूछताछ की।https://gknewslive.com

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