सुप्रीम कोर्ट ने 1995 के पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजने में विलंब पर शुकवार को केन्द्र सरकार से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह बताए कि संबंधित प्राधिकारी संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को इस संबंध में कब प्रस्ताव भेजेंगे।

संविधान के अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कतिपय मामलों में माफी देने, सजा निलंबित करने या इसके कम करने का अधिकार प्राप्त है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सात सितंबर को पंजाब के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि राजोआना की मौत की सजा माफ करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज से कहा कि वह यह बतायें कि यह प्रस्ताव अभी तक क्यों नहीं भेजा गया है। शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा माफ करने के बारे में उसकी याचिका का शीघ्र निस्तारण करने का गृह मंत्रालय को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को 1995 में पंजाब सचिवालय के बाहर हुए बम विस्फोट में संलिप्त होने के जुर्म का दोषी पाया गया था। इस विस्फोट में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गये थे।

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