लखनऊ। खतरनाक कोरोना वायरस का प्रभाव कम होने के बाद लोगो मे इसके प्रति लापरवाही भी देखी जा रही है। इसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि लोगों द्वारा नियमों का पालन करने में ढील और सभी के टीकाकरण का लक्ष्य पाने में मुख्य मुश्किलों को देखते हुए तीसरी लहर रोकना शायद संभव नहीं हो पाएगा।

जन स्वास्थ्य और महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, दूसरी लहर में 40 से 50 आबादी चपेट में आ चुकी है। उनका कहना है कि मानसून के बाद संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि, डॉक्टर लहारिया कहते हैं कि पहले संक्रमित हो चुके लोगों के अलावा टीका लगवा चुके लोगों में भी एंटीबॉडी बन चुकी है। बची आबादी में केस बढ़ने की आशंका है। हालांकि, तीसरी वाली लहर कम असर वाली हो सकती है यदि रोजाना 10 हजार केस आ रहे हैं तो उस वक्त केस बढ़कर 20 से 25 हजार तक पहुंच जाएंगे। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन लगातार घटते हुए केस के बाद यदि केस बढ़ने लगते हैं तो उसे लहर ही माना जाता है। ऐसा कई देशों में देखा जा चुका है। डॉक्टर लहारिया का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर अधिक अलग-अलग राज्य में नई लहर जल्दी देखने को मिल सकती है। यहां अक्तूबर से नवंबर माह के बीच केस बढ़ सकते हैं। तीसरी लहर आने के पीछे बदलते वैरिएंट भी जिम्मेदार हैं। अब नया वैरिएंट डेल्टा प्लस मिला है और यह 60 से 70 फीसदी से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है। यदि देश में वैरिएंट बदलते रहेंगे तो कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका भी बढ़ जाएगी।

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