लखनऊ। कोरोना महामारी ने न जाने कितने परिवारों को अनाथ कर दिया। कई घरों में इकलौता कमाने वाले अपने बीवी, बच्चों को छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए। लेकिन क्या ऐसे परिवारों के बारे में किसी ने कभी सोचा भी है कि आखिर उनकी जिंदगी कैसे गुजर रही है? कुछ ऐसा ही दुख संत कबीर नगर में देखने को मिला जहाँ पिता और चाचा की मौत के बाद घर की बेटिया अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करने को बेबस हो गयी है।

दरअसल, संत कबीर नगर जिले के थाना कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र में डीघा गांव है। बीते साल (2020) कोविड महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था। विभिन्न शहरों से मजदूर भूखे प्यासे ही पैदल अपने घरों के लिए निकल पड़े थे। ऐसे वक्त में दो सगे भाई अर्जुन और विजय प्रवासी मजदूरों के लिए लंगर में खाना पहुंचाने का काम करते थे। लेकिन 1 मई 2020 का दिन उनके जीवन में काल बनकर आया। जब दोनों भाई अर्जुन खाना लेकर सड़क पार कर रहे थे, तभी एक अनियंत्रित गाड़ी ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दिया, जिससे मौके पर ही अर्जुन और विजय की दर्दनाक मौत हो गई।

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दोनों भाइयों की मौत ने परिवार को तोड़कर रख दिया। इनके बाद घर में तीन बेटियां ही बचीं, जिनमें एक छोटी है। अब ये ही घर की देखभाल कर सकती थीं। इनके अलावा घर में कमाने वाला कोई नहीं था। घर का खर्चा चलाने वाले पिता और चाचा की मौत के बाद दो बहनों ने परिवार के भरण-पोषण के लिए मजदूरी का सहारा लिया। अब किसी तरह से घर का चूल्हा जलता है। कभी-कभी ये बेटियां सोचकर रोने लगती हैं कि ‘काश आज पिता जी होते, तो शायद उन्हें ये मुफलिसी के दिन नहीं देखने पड़ते। ‘इस परिवार की बदहाली की खबर जब लखनऊ में समाजवादी पार्टी के युवा नेता आशुतोष सिंह को लग गई। आशुतोष सिंह ने मंगलवार को खलीलाबाद डीघा गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिवार की बच्चियों का आर्थिक रूप से मदद भी की। इसके साथ ही आशुतोष सिंह ने परिवार की मदद के लिए सभी से अपील भी की है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर वे परिजनों की खबर लेते रहेंगे। अगर किसी भी चीज की जरूरत पड़ी, तो वे हर संभव मदद करेंगे।https://gknewslive.com

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