लखनऊ: 12 फरवरी 2019 को चित्रकूट में स्कूल बस से पांच साल के जुड़वा भाइयों प्रियांश और श्रेयांश को अगवा कर उनकी हत्या () कर दी गई थी। सोमवार को सतना जिला न्यायालय में एडी एक्ट के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुशवाह ने पांचों आरोपियों को दोषी मानते हुए दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं, इस मामले का मास्टरमाइंड पहले ही जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर चुका है।
दरअसल, चित्रकूट के बहुचर्चित दो सगे मासूम भाइयों के हत्याकांड मामले में सोमवार की शाम को जज ने सजा का ऐलान किया है। छह में से पांच आरोपियों को दोहरा आजीवन कारावास दिया गया जबकि एक आरोपी जेल में आत्महत्या कर चुका था। गौरतलब है कि 12 फरवरी 2019 को दर्द निवारक तेल के कारोबारी ब्रजेश रावत के जुड़वा बच्चों का अपहरण कर लिया गया था। 20 लाख की फिरौती लेने के बाद आरोपियों ने दोनों बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी थी।
उसके बाद दोनों के हाथ बांधकर यूपी के बांदा जिले में यमुना नदी में डाल दिया था। इस हत्याकांड के बाद चित्रकूट में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग सड़कों पर उतर आए थे। जिस स्कूल बस से बच्चों का अपहरण किया गया था, उस स्कूल के परिसर में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। इस मामले पुलिस ने छह आरोपी रामकेश पदमकांत शुक्ला, राजू द्विवेदी, आलोक उर्फ लकी तोमर, विक्रम जीत और अपूर्व उर्फ पिंटा यादव को गिरफ्तार किया था।
आरोपियों के खिलाफ एडी की स्पेशल कोर्ट में पुलिस ने 6000 पेज की चार्जशीट पेश की थी। इस जघन्य वारदात का मास्टर माइंड रामकेश यादव ने यहां सेंट्रल जेल में गिरफ्तारी के तीसरे माह वर्ष 2019 की 7 मई को खुदकुशी कर ली थी। ये वही शख्स था जो प्रियांश और श्रेयांश को घर में ट्यूशन पढ़ाता था। सभी पांचों आरोपियों को दोहरे आजीवन कारावास से फरियादी के एडवोकेट खुश नहीं हैं, उन्होंने उच्च न्यायालय जाने की बात कही है।
यह था मामला:
घटना 12 फरवरी 2019 को सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के अंदर हुई थी। जब स्कूल बस से असलहा दिखाकर बदमाशों ने कर्वी कोतवाली की सीतापुर चौकी अंतर्गत रामघाट निवासी तेल व्यापारी बृजेश रावत के दो मासूम बेटे श्रेयांश और प्रियांश का अपहरण किया गया था। बदमाशों ने दोनों भाइयों की हत्या करने के बाद भी 20 लाख रुपये फिरौती वसूल ली थी। चार दिन बाद दोनों के शव उत्तर प्रदेश के बांदा जिला में यमुना नदी में मिले थे।