लखनऊ। 27 दिवसीय गुरु पूर्णिमा पावन पर्व पर कस्बे के मझिगवां रोड़ पर आयोजित सतसंग समारोह मे बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आधात्मिक उत्तराधिकारी संत उमाकान्त जी महाराज अपने वचनों को सुनाते हुए आनंद प्रकाश अवस्थी ने कहा कि बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि आगे का समय खराब दिखाई पड़ रहा है। आगे ऐसी ऐसी लाइलाज बीमारी आ रही है जिनका इलाज डॉक्टरों के पास नही है ऐसे खराब समय से बचने के लिए आप सभी लोग शाकाहारी, सदाचारी ,नशामुक्त हो जाये जिससे आप लोगो की बचत हो सके ।

दुनिया के सारे रिश्ते अस्थाई है, शरीर खत्म होते ही सब खत्म। केवल परमात्मा से रिश्ता स्थाई है
सभी जीवों के अपने असली पिता परमात्मा का दर्शन करने का रास्ता बताने वाले वर्तमान के पूरे संत बाबा उमाकान्त जी महाराज के शिष्य परम आनंद प्रकाश अवस्थी ने सतसंग में संदेश दिया कि शरीर को चलाने वाली शक्ति जीवात्मा, जो परमात्मा की अंश है, इस शरीर में बंद की गई है। केवल इसी मनुष्य शरीर में रास्ता है वापस अपने घर जाने का। जब कोई रास्ता बताने वाला भेदी गुरु मिल जाता है तो जीवात्मा अपने असली घर, उस मालिक तक पहुंच जाती है। यहां के सारे रिश्ते, घर-परिवार के आदि सब अस्थाई है। आपको आपके पिछले जन्मों के बारे में नही पता कहां जन्म लिया, उन जन्मों के माता-पिता-भाई आदि याद नहीं। कई जन्म बीत गए। समझो प्रेमियों! इस शरीर के खत्म होते ही सब रिश्ते खत्म हो जाएंगे। केवल परमात्मा से आपका रिश्ता खत्म नहीं होगा। कहने का मतलब यह है कि असला पिता जो है वह परमात्मा ही है। तो बेटा कितना भी नालायक हो जाए या कितना भी पिता को भूल जाए, पिता नहीं भूलते हैं। देखो, गुस्सा करते हैं, क्रोध करते हैं, किसी से कह भी देते हैं की बच्चा नहीं मानता है तो इसको एक चांटा लगाओ, कड़क मास्टर जी के पास भेज दो, लेकिन जेल में बंद हो गए तो छुड़ाने आएंगे, पूरी ताकत लगाएंगे जेल में से निकालने के लिए।

परमात्मा आपके असली पिता आपको बराबर याद करते रहते हैं अपने घर चलने की करो तैयारी
ऐसे ही प्रेमियों! आप फंस गए हो यहां। आप उस पिता को भूल गए हो। लेकिन पिता आपको नहीं भूले हैं, बराबर याद करते रहते हैं। अब क्योंकि आप उनको देख नहीं पाते हो। पिता को देखने लग जाओ तो उनसे प्रेम हो जाए। देखो प्रेमियों अपने ही पिता होते हैं, अपना ही परिवार का कोई होता है, बड़ा प्यारा होता है, मिलते-जुलते रहते हैं। लेकिन मिलना-जुलना जब बंद हो जाता है तो वह भूलने लगते हैं। जैसे आदमी का इस समय का स्वभाव है कि जहां जिसके पास रहेगा, मिलेगा उसी से प्रेम हो जाता है। असला रिश्ता जैसे घर का हो, परिवार का हो, वह भूल जाता है। इसी तरह से जो असला रिश्ता परमात्मा से आपका, पिता से जिसको पिता कहा गया, वह रिश्ता आप भूल गए। लेकिन अगर आप देखने लग जाओ, उसको मिलने लग जाओ तो प्रेम हो हो जायेगा। जब प्रेम हो जाएगा तो फिर मन नहीं मानेगा, जरूर पिता से मिलने की इच्छा करेगा। जब पिता का दर्शन हो जाएगा, जिसको परमात्मा कहा गया, पति-परमेश्वर कहा गया, उसका दर्शन जब आपको हो जाएगा तब आपको प्रेम हो जाएगा।

मालिक से मिलने के लिये प्रेम पैदा करो
प्रेम करोगे, उनसे मिलने की तड़प पैदा करोगे अपने अंदर तो उनका नाम तो दीनबंधु दीनानाथ है। तुरंत दया करते हैं। दुनिया में कोई किसके ऊपर क्या दया करेगा? आपके ऊपर जीवों के ऊपर उसकी दया हो रही है। अब यह सब जानकारी कोई कराता है। जब जानकारी नहीं हो पाती है तो आदमी शरीर के लिए ही सब कुछ करने में लगा रहता है। खाने, कपड़े, घर, मकान बनाता रहता है, बाल बच्चों का परवरिश ही असला काम समझ लेता है, नाम कमाना, इज्जत बढ़ाना, धन कमाना – यही अपना इस शरीर का काम समझ लेता है।https://gknewslive.com

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