कार्तिक पूर्णिमा पर संत उमाकांत जी ने अपने भक्तों को कराया सत्संग का रसपान, दिया नामदान
धर्म कर्म: मनुष्य द्वारा कुदरत के नियमों को निरंतर तोड़ने से नाराज हो चुकी कुदरत के आने वाले जबरदस्त कहर से बचने के लिए शिक्षा देने वाले, दुखहर्ता, पूरे समरथ…
धर्म कर्म: मनुष्य द्वारा कुदरत के नियमों को निरंतर तोड़ने से नाराज हो चुकी कुदरत के आने वाले जबरदस्त कहर से बचने के लिए शिक्षा देने वाले, दुखहर्ता, पूरे समरथ…