कार्तिक पूर्णिमा पर संत उमाकांत जी ने अपने भक्तों को कराया सत्संग का रसपान, दिया नामदान
धर्म कर्म: मनुष्य द्वारा कुदरत के नियमों को निरंतर तोड़ने से नाराज हो चुकी कुदरत के आने वाले जबरदस्त कहर से बचने के लिए शिक्षा देने वाले, दुखहर्ता, पूरे समरथ…
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धर्म-कर्म : गलत कर्मों की वजह से नरकों में मिलने वाली भारी सजा से बचाने वाले, जीवों की मदद भलाई के लिए प्रभु द्वारा अपनी ताकत देकर यहां मृत्युलोक में…