लखनऊ। भागदौड़ की जिंदगी में लोग फुर्सत के पल पाने के लिए हमेशा आतुर रहते हैं। वह हर समय यही सोचते रहते हैं कि समय मिले तो थोड़ा चैन से बैठेंगे, आराम करेंगे, कुछ हटकर करेंगे। लेकिन यही फुर्सत परेशानी का सबब भी बन सकती है। रिसर्च के मुताबिक, फुर्सत के पलों में भी अवसाद मतलब डिप्रेशन बढ़ता है। जब आप ये सोच लेते हैं कि आप फुसर्त में बैठे हैं और आपसे कोई काम नहीं हो पा रहा है, तो आपकी फुर्सत गायब हो जाती और टेंशन बढ़ जाती है। रिसर्चर्स ने मॉर्डन सोसाइटी की इस आम धारणा पर स्टडी की है कि अंतिम लक्ष्य तो उत्पादकता ही है और मौज-मस्ती वेस्टेज ऑफ टाइम है।

यह भी पढ़ें: आम आदमी पार्टी यूपी की सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी: संजय सिहं

फुर्सत में बढ़ता है डिप्रेशन
ज्यादातर लोगों फुर्सत के पलों में वो मानसिक तौर पर कमजोर भी हुए हैं। ऐसे कई शोध हुए हैं जिनमें कहा गया है कि फुर्सत के पलों का लोगों को फायदा पहुंचा है, इससे उत्पादकता बढ़ी है। लेकिन रिसर्च में पाया गया है कि अगर लोगों ने यह सोचना शुरू कर दिया कि फुर्सत बेकार है, तो वह तनाव में आ जाते हैं। एक अन्य शोधकर्ता ने बताया कि यदि किसी उत्पादक कार्य के लिए फुर्सत के पलों का इस्तेमाल किया जाए तो ज्यादा फायदा होता है। फुर्सत के समय में आप क्या करते हैं या क्या सोचते हैं, उससे खुशी, तनाव या अवसाद की स्थिति तय होती है। यदि आप खाली समय में व्यायाम करते हैं तो खुशी मिल सकती है और टीवी देखने में समय गंवाते हैं तो अवसाद के शिकार हो सकते हैं।https://gknewslive.com

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *