लखनऊ: डालीगंज के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर मठ मंदिर में गुरु श्रीमहंत देव्यागिरि का अभिनंदन अनुयायियों द्वारा रविवार 5 सितम्बर को किया गया। शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें श्रीफल, नए गेरुआ वस्त्र, मेवे और मिष्ठान भेंट किये गए। इस अवसर श्रीमहंत देव्यागिरि ने मठ-मंदिर में स्थापित गुरु प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया। शाम को बाबा मनकामेश्वर का अभिषेक और श्रंगार कर आरती की गई। भक्तों ने फूलों की वर्षा कर श्रीमहंत देव्यागिरि के प्रति अपार सम्मान को प्रकट किया।

श्रीमहंत देव्यागिरि ने इस अवसर पर कहा कि मां हर बच्चे की पहली शिक्षिका होती है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी मां को नमन करते हुए उनके प्रति कृतज्ञ रहे। दूसरी ओर शैक्षिक संस्थान के गुरु व्यक्ति को इस जगत में धर्नाजन के योग्य बनाते हैं वहीं आध्यात्मिक गुरु उन लक्ष्यों को नैतिकता के साथ हासिल करने की राह दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ गुरु वह है जिसका जीवन शैली ही शिक्षा का माध्यम बन जाए। भगवान शंकर इसीलिए महादेव कहलाएं क्यों कि उन्होंने देवों को अमृतपान करवाया वहीं मानव कल्याण के लिए स्वंय विषपान तक किया। मोह-माया को त्याग कर तन पर भस्म रमाई और अपने शिष्यों की हर मनोकमना पूरी की। उन्होंने कहा कि मानव होना भाग्य है पर शिक्षक होना सौभाग्य है। इस अवसर पर महिला संत ऋतुजा गिरि, गौरजा गिरि कल्याणी गिरि की अगुआई में श्रीमहंत देव्यागिरि का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उपमा पाण्डेय, जगदीश गुप्ता अग्रहरि, मालती शुक्ला, सुनीता चौहान, ज्योति कश्यप, श्रुति पाण्डेय, अंकुर पाण्डेय, दीपू पाण्डेय, आशू, अनिल मिश्र, गौरव शुक्ला सहित अन्य भक्तों ने श्रीमहंत देव्यागिरि का पूजन कर आशीर्वाद हासिल किया। इस क्रम में अनुयायियों ने गुरुवंदना के उपरांत गुरु के मधुर भजन भी गाए।

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