लखनऊ: महान आध्यात्मिक संत स्वामी अड़गड़ानन्द जी ने गंगा तट स्थित अपने श्रृंगवेरपुर आश्रम में अपने हजारों अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को उसके कर्म स्वभाव व व्यवहार के अनुसार मुक्ति मिलती है। ईश्वर जब कृपा दृष्टि देते हैं तभी व्यक्ति आत्मा का और पश्चात परमात्मा का साक्षात होता है। ईश्वर रंग रूप से परे हैं । गुण दोष से मुक्त है। सभी रंग रूप में विद्यमान है।
स्वास का नियमन करें । प्रत्येक स्वास को परमात्मा को समर्पित करें । अंदर आने वाली स्वास का ॐ के उच्चारण के साथ आत्मसात करें व बाहर निकलने वाली स्वास को भी ॐ के उच्चारण के साथ निकलने दें। अगर स्वास का भजन और ॐ परमात्मा की श्रुति लग गई तो कल्याण समझो।स्वामी जी ने कहा कि केवल भजन ही माया और उसके कुप्रभावों से मुक्ति दिला सकती है। इसलिए भजन रूपी औषधि का सतत सेवन करना चाहिए। स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का प्रवचन सुनने के लिए हजारों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
इस अवसर पर प्रतापगढ़ प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह,अवधभूमि न्यूज़ के प्रकाशक एवं संपादक अनिल मधुकर धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू सिंह व राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रवीण सिंह उर्फ बबलू सिंह खबोर उपस्थित रहे।