लखनऊ: मौरावा उन्नाव ब्लॉक क्षेत्र अंतर्गत देवमई में चल रही गत वर्षो की भांति तीन दिवसीय रामलीला में विभिन्न लीलाओं का मंचन करते हुए आज तीसरे दिन रावण बाणासुर संवाद धनुष भंग परशुराम लक्ष्मण संवाद के साथ समापन किया गया. जिसमें क्षेत्रीय गणमान्य लोगों का कमेटी की ओर से अंग वस्त्र माल्यार्पण करते हुए स्वागत किया गया. विवरण के अनुसार यहां देवमई ग्राम मेंलगभग 40 वर्षों से प्रतिवर्ष ग्रामीण के सहयोग से रामलीला का आयोजन होता चला आ रहा है. जिसमें ग्राम व बाहर के कलाकारों द्वारा रामलीला का सफल मंचन किया जाता है. बताते चलें कि आज रामलीला देखने के दौरान उस समय लोग भावुक हो उठे जब राजा जनक द्वारा रचा गया सीता स्वयंवर मे दूर-दूर के राजा आते हैं. और राजा जनक ने स्वयंवर में कहा था कि जो भी इस धनुष की प्रत्यंचा चढाएगा उसके साथ सीता का विवाह संपन्न होगा लेकिन प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर की बात कोई भी धनुष को हिला तक नही सका उस समय विचलित होकर राजा जनक कहते हैं. कि तजहु आस निज निज ग्रह जाऊं लिखा ना सीता विधि वैदेहि विवाहू इतनी बात सुनते ही गुरु विश्वामित्र के साथ सीता स्वयंवर में पहुंचे श्री राम और लक्ष्मण जनक की बात सुनकर लक्ष्मण क्रोधित हो जाते हैं. और क्रोध की ज्वाला में जलते हुए कहते हैं कि जनक के भाव पढ़कर बड़ी तकलीफ होती है.

विराजे आप आसन पर बैठे भूप बलिसाली जनक ने कैसे कह दिया। पृथ्वी वीरों से है खाली यदि आज्ञा मिल जाए श्री राम की तो यह पुराना घिसा पिटा धनुष क्या मैं ब्रह्मांड इधर उधर का डालू लक्ष्मण का क्रोध देखकर राम कहते हैं. कि शांत हो जाओ लखन तुम पिता के समान जनक जी व्यथा क्रोध क्यों करते हो उसी समय गुरु विश्वामित्र उचित समय जानकर भगवान श्रीराम को आदेशित करते हैं. कि उठहु राम भंजौ भव चापू मेटहु तात जनक परितापू श्री राम उठते हैं और जैसे ही धनुष को छूते हैं. धनुष का खंडन हो जाता है उसी समय परशुराम जी का आगमन होता है और राजा जनक सीता जी को बुलाकर आशीर्वाद प्राप्त कराते हैं. वही गुरु विश्वामित्र राम और लक्ष्मण से कहते हैं की परशुराम जी को प्रणाम करो परशुराम जी से राम और लक्ष्मण को आशीर्वाद प्राप्त होता है. फिर परशुराम जी धनुष तोड़ने वाले की खोज करते हैं और कहते हैं कि जिसने इस धनुष को तोड़ा है वह मेरा सहस्त्रबाहु के समान मेरा दुश्मन है. वह सामने आ जावे राम के द्वारा कहा जाता है कि नाथ शंभू धनु भंजन हरा होइ है। कोऊ एक दास तुम्हारा हे नाथ धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास ही हो सकता है. जिसने ऐसा अपराध किया वह आपका सेवक ही हो सकता है. किंतु परशुराम जी क्रोधित होते हैं तब लक्ष्मण भी क्रोध में आ जाते हैं और वाक्य युद्ध शुरू हो जाता है. अंत में परशुराम जी कहते हैं राम से यदि तुम वाकई राम हो तो मेरा एक कम करो मेरे राम रमापति कर धन लेहू खैचहि चाप मिटई संदेहू।

धनुष कि यदि प्रत्यंचा चढाओगे तो मेरा संदेश मिट जाएगा परसुराम द्वारा दिया गया धनुष राम जैसे ही छूते हैं वैसे ही अपने आप प्रत्यांचा चढ़ जाती है. और भगवान परशुराम का संदेह मिट जाता है. वहीं से लीला का समापन होता है लीला का सफल मंचन कर रहे मुख्य कलाकारों में से राम का अनुराग पांडे लक्षमण पवन पांडे परसुराम दिवाकर तिवारी बाणासुर अमरेंद्र मिश्रा रावण ज्ञान सिंह जनक शुरेश सिंह अम्रत लाल हिमांशु सिंह शिवम सिंह अभिषेक पांडेआदि लोगों ने कला का मंचन किया। वही इस मौके पर अरुण सिंह भाजपा मंडल अध्यक्ष हिलौली वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर पांडे देवेश अमरेंद्र मिश्रा सुनील मिश्रा सियाराम यादव सुनील यादव नीरज यादव को माला पहना अंग वस्त्र भेंट कर कमेटी के सदस्य प्रधान प्रतिनिधि रामबाबू लोधी पूर्व प्रधान रमेश यादव अवधेश कोटेदार मनोज लोधी राकेश चौधरी दौलत सिंह हर किशोर लोधीओर से स्वागत किया गया. अनेक अनेक कलाकारों द्वारा झांकियों का भी प्रदर्शन किया गया. इस मौके पर क्षेत्र के संभ्रांत व्यक्ति मौजूद रहे रामलीला पंडाल खचाखच भरा रहा दर्शकों ने रामलीला मंचन कर रहे कलाकारों का तालियों वाह जय श्री राम के जय घोष से उत्साहवर्धन किया।

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