लखनऊ। हर साल एक दिसंबर को विश्वभर के लोग इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाते हैं, इसकी शुरुआत 1998 में की गई। तब से हर साल विश्वभर की स्वास्थ्य एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र, सरकारें और सिविल सोसाइटी मिलकर इस बीमारी से जागरूक करने के लिए कैंपेन चलाते हैं। प्रत्येक विश्व एड्स दिवस विशिष्ट विषय पर आधारित होता है। इस साल की थीम- ‘वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी’ है। यह थीम विश्व स्तर पर लोगों को एड्स के प्रति सतर्क करती है।
किसी भी उम्र के व्यक्ति को कर सकता है प्रभावित
शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर काफी काम करना शुरू किया था।
वर्ल्ड एड्स डे का उद्देश्य
वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 37 मिलियन से ज्यादा लोग HIV के शिकार हो चुके हैं जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 3 मिलियन के आसपास है।
एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण
लगातार वजन का घटना
लगातार दस्त होना
लगातार बुखार होना
शरीर पर खाज, खुजली
त्वचा में संक्रमण होना
मुंह में छाले
जीभ पर फफूंदी आनाhttps://gknewslive.com