लखनऊ। 380 दिन पहले केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाने वाले किसान शनिवार को अपने घरों को रवाना हुए। सबसे लंबे आंदोलन को सफल बनाने की खुशी उनके चेहरों पर साफ दिखाई दे रही थी। कुंडली बॉर्डर से सुबह अरदास के बाद घरों को लौट रहे किसान हर थोड़ी दूर पर जश्न मना रहे हैं। जीटी रोड पर आज एक अलग ही नजारा है। कहीं युवा ललकारे मार रहे हैं तो बुजुर्ग किसान भी नाच कर अपनी खुशी व्यक्त कर रहे हैं। कुंडली से मुरथल तक हंसते मुस्कुराते किसानों के चेहरों पर लंबे जाम के बावजूद कोई शिकन नहीं है। सरकार के साथ सभी मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा की सहमति बनने के बाद किसानों ने शनिवार को घर वापसी से पहले बॉर्डर पर जमकर जश्न मनाया। किसान नाचते-गाते हुए अपने घरों को रवाना हो रहे हैं। हर ट्रैक्टर-ट्राली व अन्य वाहनों पर किसानी झंडों के साथ किसान जीत की नारेबाजी हो रही है।

कुंडली बॉर्डर पर सुबह से जश्न का माहौल है और किसानी धरने ने मेले का रूप अख्तियार कर लिया है। यूं तो एक दिन पहले से ही किसानों की रवानगी शुरू हो गई थी, लेकिन शनिवार को सुबह से ही किसान जत्थों के रूप में रवाना हुए। यहां से किसान अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने के लिए निकले हैं, लेकिन इससे पहले अलग अलग जगह किसानों का पड़ाव होगा। किसानों ने बॉर्डर पर मौजूद स्थानीय लोगों का धन्यवाद किया और उन्हें भी अपनी खुशी में शामिल करते हुए लंगर बांटकर आभार जताया। कुछ किसानों की यहां रह रहे लोगों के साथ इतनी अधिक घनिष्ठता हो गई थी कि जाते समय उनकी आंखें नम हो गई थी।

शुक्रवार को भी महिला किसानों के जत्थे ने केक काटकर व लड्डू बांटकर खुशी मनाई थी। महिला किसानों ने कहा था कि उनके संघर्ष को आखिर मंजिल मिल गई। शुक्रवार को कुंडली धरना पर पहुंचीं अधिवक्ता एवं किसान माही मलिक, पूनम, बिमला, निर्मला, गुड्डी, बबीता, ज्योति व वंशिका ने कहा कि किसानों के संघर्ष के आगे केंद्र सरकार को उनकी मांग मानने के मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि किसानों की एकता ने किसान विरोधी तीनों कानून रद्द कराने में अहम भूमिका अदा की। अपने हित के लिए देश के किसान एकजुट हो गए। https://gknewslive.com

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