लखनऊ। उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने आश्रम पर दिए सतसंग में बताया कि कोरोना आया था, बहुत लोग मरते थे, जानकारी नहीं थी, दवाई नहीं थी। अब लोगों ने खोज लिया। जितनी सावधानी इस समय बताई जा रही है उतनी आदमी अगर बरत ले तो रोग का असर कम हो जाता है। होता भी है, नहीं भी होता है। पूरा संयम-नियम जो सरकारी नियम है कि दूरी रखो और नाक-मुंह से ये कीटाणु कीड़े, वायरस अंदर प्रवेश करते हैं, हो जाते हैं।

कोरोना रोगी के नाक, मुंह से निकलते हैं कीड़े, दूरी बनाकर ही रखो
वो कीड़े अंदर जब हो जाते हैं, पूरे सिस्टम को जाम कर देते हैं। वह कहां से प्रवेश करते हैं? नाक मुंह से जब आदमी सांस लेता, वहां से। रोगी और आप दोनों ढ़क कर रखो बचत के लिए। जब अंदर जाने का रास्ता नाक-मुंह बंद रहेगा तो कीड़े अंदर जा नहीं पाएंगे। यदि बहुत ज्यादा हो गया तो रोगी के शरीर के रोओं से सब निकलता है, कहीं कोई छू गया हो तो हाथ धो लिया जाए। छूने से ही बचत हो जाए तब तो और बीमारियों से भी आदमी बचा रह सकता है।

जबसे मांसाहार बढा, नियम-संयम से दूर हुए तब से इन बीमारियों का हमला ज्यादा होने लगा, सावधान हो जाओ
इस समय पर कोरोना बहुत बढ़ रहा है। जब से लोगों का खान-पान बिगड़ा, मांसाहार ज्यादा करने लग गए, नियम-संयम से दूर हुए तबसे इन बीमारियों का हमला बहुत बढ़ गया। बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए बता रहा हूं कि आप लोग होशियार रहो।

इस समय कोरोना को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानना चाहिए, कभी भी कर सकता है हमला
आदमी कहता है यह हमारे दुश्मन हैं, जान का खतरा है, हमारी जान ले सकते हैं, जिंदगी बर्बाद कर सकते हैं, इनसे हमको होशियार रहना चाहिए। ऐसे ही इस रोग को इस समय आपको दुश्मन मान लेना चाहिए। कहते है की दुश्मन के आदमी से भी होशियार रहना चाहिए तो जिनके अंदर प्रवेश कर गया कोरोना, उससे भी दूर रहो, होशियार रहो।

कोरोना की दवा पहले बताई जा चुकी है, न पता हो तो सतसंगियों से पूछ लेना
देखो आंखों में आंखें मिलाने से प्रेम पैदा होता है। जीवात्मा सबको देखती है आंखों के द्वारा। एक दूसरे को जब देखती है तब प्रेम होता है लेकिन परहेज रखो। थोड़े समय के लिए कर लो। उसके बाद नार्मल स्थित हो जाएगी, आप सामान्य जीवन बिताना जैसे पहले बिताते थे। अगर कहीं भूल-भटक हो जाए क्योंकि आदमी की आदत बन जाती है। जैसे सामान्य जीवन में लोग जी रहे थे अचानक आ गया तो होशियारी बहुत लोग बरत रहे। लेकिन किसी को हो भी गया तो दवा पहले बताई गई है, बगैर पैसे की। बार-बार बताना ठीक नहीं। पूछ लेना सत्संगियो को मालूम है। तो आप उसका इस्तेमाल कर लो, इस्तेमाल करके देखो।

यदि दवा न मिले तो आपको बताई गई देसी दवा शुरू कर लेना
दवा भी ले लो विश्वास के लिए। दवा न भी मिले गांव के लोग हो, आप देहात में रहते हो जहां कोई डॉक्टर नहीं, दवाई नहीं तो वह देसी दवा जो बता दी गई है, शुरू कर लेना। इस समय पर सबको सजग रहने की जरूरत है। https://gknewslive.com

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