मोहनलालगंज : चारे की बढ़ती कीमत छुट्टा गोवंश के आश्रय केन्द्रों के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है । गोवंश का पेट भरने की कोशिश मे पंचायतें लोगों की कर्ज दार होती जा रही हैं। पशुपालन विभाग की ओर से दी जा रही तीस रुपये प्रति गोवंश की आर्थिक मदद में गोवंश का पेट भर पाना पंचायतों के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। पंचायतों ने कई दफा अफसरों को अपनी परेशानी बताइए लेकिन उस पर अब तक कोई भी कार्य नहीं किया गया है। लिहाजा ग्राम प्रधान अब आश्रय केन्द्रों का संचालन करने से मना कर रहे हैं। सरकार ने छुट्टा गोवंश की समस्या से किसानो को निजाद दिलाने के लिए मोहनलालगंज समेत राजधानी के सभी ब्लाकों में निराश्रित गोवंश आश्रय केन्द्रों का संचालन कर रही है ।

पशुपालन विभाग की ओर से चारे के लिए प्रति गोवंश तीस रुपये ही पंचायतों को दिया जा रहा है। जब की ग्राम प्रधानों के अनुसार बाजार में भूसे की कीमत 12-14 रुपये और फसल अवशेष 8-9 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिल रहा है । ऐसे में प्रतिदिन चारे का खरचा न्यूनतम 80 – 90 रुपये प्रति गोवंश आ रहा है। गोवंश के लिए चूनी चोकर और सूखा भूसा जुटाने में सभी पंचायतों के पसीने छूट रहे है। इसके साथ ही साल भर से राज्य वित्त की धनराशि भी पंचायतों में कम आ रही है, जिसके चलते गोपालकों को मानदेय देना भी मुश्किल हो रहा है। मीडिया से बात करते हुए उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया की, चारे की दर बढ़ाने के विषय में अधिकारियों को बताया गया है। उन्होंने कहा मामला शासन स्तर पर लम्बित है , जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा। लेकिन तब तक उपलब्ध संसाधनों में पंचायतों की मदद से आश्रय केन्द्रों को सुचारू रूप से चलाने की पूरी कोशिश की जा रही है।

लेखिका – कीर्ति गुप्ता

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