लखनऊ। आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बेहद खास मानी जाती है। 2 अप्रैल से शुरू हुए ये पावन दिनों की 10 अप्रैल को समाप्ति हो जाएगी। नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना का विधान है और नवरात्री में अष्टमी-नवमी का बहुत खास महत्व होता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आठवें दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी का पूजन किया जाता है और नवमी को सिद्धिदात्री मां को झमा-याचना कर उन्हें प्रेम से मनाया जाता है। वैसे आपको बताते चले कि हवन के बिना नवरात्री की पूजा अधूरी मानी जाती है।

अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्रि व्रत संपन्न माने जाते हैं। इसमें 2 से 11 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं। मान्यता है कि नवरात्र के दिनों में कन्याओं को देवी का रूप मानकर आदर-सत्कार करने एवं भोजन कराने से घर का वास्तुदोष दूर होता है। ज्योतिष में भी कन्या पूजन को बहुत फलदायी माना गया है। यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह बुरा फल दे रहा है, तो आपको कन्या पूजन करना चाहिए।

कन्या भोज पूजन विधि
इन दोनों दिन सूर्योदय से पहले उठें। अगर आप व्रत नहीं भी है, तो भी उठकर स्नान करें और पूजा जरूर करें और प्रसाद में खीर,पूरी,हलवा,कच्चा नारियल से मां का भोग लगाएं। कन्याओं को आमंत्रित करने के बाद शुद्ध जल में हल्दी मिलाकर उनके चरण धोने चाहिए और सम्मान पूर्वक उन्हें साफ आसन पर बैठाएं। राजस्थान,उत्तरप्रदेश एवं गुजरात राज्यों में तो कहीं कहीं नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोज कराने की परंपरा है। बालक को भैरव बाबा का स्वरूप या लंगूर कहा जाता है। दुर्गा स्वरूप इन कन्याओं को खीर,पूरी,चने,हलवा आदि का सात्विक भोजन कराएं। कन्याओं को सुमधुर भोजन कराने के बाद उन्हें टीका लगाएं और कलाई पर रक्षासूत्र बांधें। प्रदक्षिणा कर उनके चरण स्पर्श करते हुए यथाशक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें। https://gknewslive.com

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