लखनऊ: वर्षा ऋतु शुरू होते ही संचारी रोगों का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। राजधानी के अलीगंज क्षेत्र के फतेहपुर गांव में अब तक 200 से अधिक लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाके में ओआरएस घोल भी बांटे गए हैं। अस्थायी चिकित्सा कैंप भी लगाया गया है। एम्बुलेंस भी उपलब्ध है। वहीं, जल निगम ने 12 घरों से पानी के नमूने लिये थे, मग़र उनकी जांच रिपोर्ट नहीं आ सकी है। बता दें कि पानी में पर्याप्त क्लोरीन की मिलावट थी। लेकिन, इस बीमारी से कैसे बचें? कैसे खुद का बचाव करें? इस संबंध में पढ़ें यह रिपोर्ट।
इन कारणों से होता है डायरिया:-
खाने-पीने की चीजों में प्रदूषण, बासी या खराब भोजन।
बच्चों के स्तनपान के दौरान साफ सफाई पर ध्यान न देना।
कटे व खुले में रखे फल खाना।
एसी, कूलर वाले कमरे से सीधे धूप में निकलना।
धूप से लौटकर आते ही तत्काल पानी पीना।
रोटा वायरस का संक्रमण।
मिलावटी दूध से बच्चों का पाचन शक्ति कमजोर होना।
शरीर में पानी की कमी।
क्या सावधानियां बरतें?
साफ पानी पीयें, डायरिया में बच्चों को उबला पानी दें।
बाहर का खाना, फास्ट फूड, पैक्ड फूड से बचें।
सफाई का विशेष ध्यान रखें।
शौच के बाद अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएं।
पेट में दर्द की समस्या हो तो चिकित्सक से सलाह लें।
‘हफ़्ते भर से ज़्यादा रही तो क्रॉनिक हो जाती’
वरिष्ठ चिकित्सा वैज्ञानिक व ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रो. राम शंकर उपाध्याय के मुताबिक, इस मौसम में डायरिया के केस बढ़ रहे हैं। बच्चे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसा दूषित भोजन व जल के कारण। डायरिया एक्यूट व क्रॉनिक दोनों होता है। एक्यूट जीवाणु, विषाणु या पैरासाइट के कारण होता है, जो हफ्ते भर में ठीक हो जाता है। लेकिन बीमारी हफ्ते भर से ज्यादा रही तो क्रॉनिक हो जाती है।