उत्तर प्रदेश : कांग्रेस G -23 के वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आजाद पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोलने का कोई भी मौका छोड़ नहीं रहे है। गुलाम नबी आजाद को मौका मिलते ही वो राहुल पर शब्दों के बान चलाना शुरू कर देते है। एक बार फिर वरिष्ठ राजनेता गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर लिशाना साधते हुए कहा की, राहुल केवल फोटो ऑप्स, धरना और रैलियों के लिए ठीक है, संगठन के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे किसे जिम्मेदार मानना चाहिए? मुझे राहुल को जिम्मेदार बताना पड़ेगा, क्योंकि उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया।

खैर सवाल तो ये है की, पांच दशक से कांग्रेस के साथ रहे उनके अपने वरिष्ठ नेता ही जब राहुल गाँधी की संगठन को साथ लेकर काम करने की क्षमता पर सवाल खड़े कर रहे है, इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी राहुल गाँधी को ही क्यो अध्यक्ष बनाना चाहती है ?

बतादें, की कांग्रेस ने पार्टी की तरफ से चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है। 19 अक्टूबर को पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए चुनाव किया जाएगा। फिलहाल इस चुनाव में राहुल गांधी की उम्मीदवारी को लेकर अभी कोई भी बात सामने नहीं आई है। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है की राहुल को ही पार्टी का अध्यक्ष बनना चाहिए।

आइये जानते हैं कुछ ऐसी वजहें जिनके कारण बार बार राहुल गाँधी को ही पार्टी का अध्यक्ष बनाने की बात कही जाती है।

राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाने की पहली वजह है चुनाव में अच्छा प्रदर्शन :-

रिपोर्ट्स की मने तो राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। 2018 में राहुल गाँधी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने कई युवा चेहरों को अहम जिम्मेदारियां दी और आम लोगों तक पहुंचने के लिए कई अभियान भी चलाए गए। जिसके बाद कांग्रेस ने गुजरात में काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

दूसरी वजह जिम्मेदारी लेना :-

ये बात सभी जानते है की राहुल गाँधी किसी भी गलती की जिम्मेदारी लेने से नहीं डरते हैं। साल 2019 में टिकट वितरण से लेकर अभियान तक के लिए जो भी फैसले लिए गए वो G-23 के कुछ सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लिए थे। लेकिन जब नतीजे उम्मीद के विपरीत आए तो राहुल गाँधी ने पूरी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

जीत पार्टी की मेहनत से, हारे तो राहुल जिम्मेदार :-

रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गाँधी की अध्यक्षता में जब कांग्रेस ने राज्यों में जीत हांसिल की थी तो उसका पूरा श्रेय पार्टी और उसके नेताओं को दिया गया था, लेकिन जब पार्टी को हार का सामना करना पड़ा तो उसका पूरा जिम्मेदार राहुल को बना दिया गया। बड़ी बात तो ये थी की राहुल ने इसका विरोध भी नहीं किया। पार्टी के एक राज्यसभा सांसद ने कहा, जब बड़े नेताओं ने पक्ष बदल लिया और राहुल पर हमला करने लगे उस वक्त भी पार्टी के युवा सदस्यों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने राहुल का साथ नहीं छोड़ा। ऐसी ताकत किसी और नेता के पास नहीं है।

सरकार से न डरने वाले विपक्ष के एकमात्र नेता है :-

कांग्रेस नेताओं और मिडिया रिपोर्ट्स की माने तो राहुल विपक्षी दल में एकमात्र ऐसे नेता है, जो लगातार आम जनता के मुददों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। ईडी और सीबीआई की चल रही मनमानिओं के बीच राहुल गांधी ही एक ऐसे नेता हैं, जो महंगाई, जीएसटी जैसे मुद्दों पर सरकार का सामना कर रहे हैं।

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