Hartalika Teej 2022: हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाये और कुवारी कन्याएं निर्जला व्रत रखती है ताकि उनको भी भगवान शिव जैसा ही जीवन साथी मिले यह विवाहित महिलाओ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. हरतालिका तीज त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसके पीछे एक बहुत पुरानी कथा है जिसका अत्यंत महत्त्व है।
कठिन व्रतों में एक है हरतालिका तीज
करवा चौथ का व्रत रात्रि में चंद्रमा पूजन के बाद खोला जाता है, कजरी तीज का व्रत भी महिलाएं फलाहार करती हैं वहीं वट सावित्री के व्रत में पूजा बाद महिलाएं फलाहार करती हैं. लेकिन हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है. यानी इसमें महिलाएं अन्न, जल और फल सभी चीजों का पूरी तरह से त्याग करती हैं. हरतालिका तीज की व्रत कथा के अनुसार, इस व्रत में जो महिला पानी पीती है, उसे अगले जन्म में मछली और फल खाने वाली महिला को बंदर के रूप में जन्म लेना पड़ता है.
कहा जाता है कि माता पार्वती की सखिया उनका अपहरण करके जंगल ले गयी थी. उनकी सखिया माता पार्वती के मन की बात जान गयी थी. की वह शिव जी को मन ही मन अपना पति मान चुकी है. उनकी इच्छा बिना जाने उनके पिता भगवान विष्णु से विवाह न करदे इसी डर की वजह से उन्हें घने जंगल ले गयी। और सखियों ने उनसे कहा की इस गुफा में भगवान शिव की आराधना करो तब माता पार्वती ने भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर रात भर जगकर भगवान शिव की पूजा की और यह सब देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए और माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। उनकी सखियों ने उनका अपहरण किया था इसलिए इसका नाम हरतालिका रखा गया।