लाइफस्टाइल : हिन्दू धर्म में पितृपक्ष की बहुत अधिक मान्यता है। ऐसा माना जाता है की इन दिनों में पितृ धरती पर अपने परिवार से मिलने आते है. पिंडदान ,तर्पण और श्राद्ध करने पर पितृ उन्हें आशीर्वाद देते है। इस बार 10 सितंबर 2022 से पितृपक्ष की शुरु हो रहे है। यह 25 सितंबर तक रहेगा। पितृपक्ष में 15 दिनों की अवधि में लोग अपने पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज इत्यादि करते हैं। मान्यताओं के अनुसार पितृ जीव-जंतुओं के माध्यम  से भोजन ग्रहण करते हैं. ऐसे में जीव जन्तुओ को भी भोजन कराया जाता है।

पिंडदान धार्मिक स्थलों पर करे तो उचित होगा:

हरिद्वार: उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार को देव नगरी के नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष के दौरान इस स्थान पर लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं और श्राद्ध कर्मों को पूरा करते हैं।

लौहनगर: राजस्थान में मौजूद इस स्थान का भी महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि इसी स्थान पर मौजूद सूरजकुंड में पांडवों ने अपने पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया था।

प्रयागराज : उत्तरप्रदेश में मौजूद प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर लोग श्राद्ध कर्म करते हैं। यह वही स्थान है जहां तीन देव नदी गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम होता है।

पुष्कर: राजस्थान में मौजूद इस सिद्ध स्थल में एक प्राचीन झील मौजूद है,जहां लोग पितरो की मुक्ति कर्म करते है।

आगरा : आगरा में पितृ पक्ष के दौरान यमुना के बल्केश्वर घाट पर श्रद्धालुओं अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन धार्मिक स्थलों पर पिंडदान करने से पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

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