लखनऊ: निजधाम वासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने गाजियाबाद (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो मनुष्य शरीर में आते हैं सबको कर्मों की सजा भोगनी पड़ती है। जैसे बेटे के तय किये सौदे को बाप मानता है ऐसे ही समरथ सन्त भी अपने अपनाए हुए जीवों के कर्मों को न भोग पाने पर खुद भोगते हैं।
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जो महात्मा सन्त आए उन्होंने कर्म कर्जे को अदा करने, तकलीफों से बचाने के लिए नियम-कानून बनाए, तरह-तरह का उपाय युक्ति निकाले। आपने अभी तक इन्हीं दुनियावी फायदों की बातों पर विश्वास किया है लेकिन आत्मा को आप समझ, देख नहीं पाए। वह संकट में, बंधन में इस शरीर के अंदर वह पड़ी हुई है। उसे मुक्त कराओ तब असली शान्ति मिलेगी। कलयुग में इस समय साधु बन जाने पर भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। यह शरीर छोड़ना ही पड़ेगा। तैयारी करो।