लखनऊ। तेलीबाग के पास स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप) में शुक्रवार को अखिल भारतीय समन्वित गन्ना अनुसंधान परियोजना के क्षेत्रीय प्रजनकों और पौध सुरक्षा वैज्ञानिकों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रारंभिक किस्मीय परीक्षण (आईवीटी) में गन्ने के उन्नतशील कृतकों का चुनाव करके उनके आगे के मूल्यांकन के उद्देश्य उन्नत किस्मीय परीक्षण (एवीटी) में ले जाने और देश के चार गन्ना उत्पादक क्षेत्रों – उत्तर-पश्चिम क्षेत्र, उत्तर-मध्य क्षेत्र, पूर्वी तटीय क्षेत्र और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए किस्मों के विकास के लिए तकनीकी कार्यक्रम को लेकर विस्तार से चर्चा की गईं।
बैठक में पहुंचे बतौर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (वाणिज्यिक फसलें) डॉ आर के सिंह ने वैज्ञानिकों से भारत में गन्ने के 4,000 से अधिक जननदृष्य उपलब्ध होने से गन्ने में पूर्व प्रजनन कार्य पर जोर देने का आग्रह किया और उत्तर प्रदेश में गन्ने की डीजेनरेट हो रही लोकप्रिय किस्म को कोलख 14201 को 15023 व कोशा 13235 जैसी अन्य उन्नत किस्मों द्वारा प्रतिस्थापित करने पर जोर दिया। गन्ना और चीनी उत्पादन में भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन और पेट्रोल में 10% इथेनॉल मिश्रण पर संतोष व्यक्त किया। इस दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना प्रजनन संस्थान की निदेशक डॉ जी हेमप्रभा ने चीनी उत्पादन में भारत के ब्राजील को पीछे छोड़ने और भारत में पेट्रोल में 10% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करने की उपलब्धि पर प्रसन्नताव्यक्त की।
भाकृअनुप के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन ने भारतीय गन्ने की सबसे लोकप्रिय किस्म के लाल सड़न रोग से डीजेनरेट होने पर अपनी गहरी चिंताव्यक्त करते हुए सभी चीनी मिलों द्वारा कीटों एवं रोगों के एकीकृत प्रबंधन, लाल सड़न रोग के इनोकुलम लोडको न्यूनतम करने के लिए सेट उपचार, ड्रोन के माध्यम से कवकनाशी का उपयोग, गन्ने की उन्नत किस्मों के ऊतक संवर्धन विधि द्वारा उगाए गए पौधों को बढ़ावा देने और किस्मीय विविधीकरण को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।