लखनऊ : अंदर में प्रेरणा दे कर गलत कामों से अपने बच्चों को बचाने वाले, बाहर शारीरिक दु:खों के आने के कारणों को और उनसे बचने के उपाय बताने वाले, सबके आगे बढ़ने, फलने-फूलने के लिये प्रार्थना करने वाले, अपना समय बिलकुल भी खराब न कर अपनी आत्मा के उद्धार में लगाने कि शिक्षा देने वाले, इस समय के युगपुरुष, त्रिकालदर्शी, दयालु, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम में दिये संदेश में बताया कि जान-अनजान में हुई गलतियों की माफी उस मालिक से बराबर मांगते रहो, समझ में आने पर गलती मत दोहराओ।

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बुरे कर्म से बचो, साधकों से और जानने की इच्छा रखो कि कैसे कर्मों से बचाव और साधना में तरक्की हो। निंदा अपमान से दूर रहो, निंदा करने से दूसरों के कर्मों का बोझ आता है फिर सजा तकलीफ भोगनी पड़ती है। गुरु को समर्पित कर दोगे तो न प्रशंसा की खुशी, न निंदा अपमान का दु:ख। मस्त रहो। जाही विधि राखे गुरु, वाही विधि रहिए। आप लोग खुशहाल रहो, सुखी रहो। आप जिनको शाकाहारी बनाओ, सभी के लिए हमारी यह शुभकामनाएं। गुरु महाराज से आपके आगे बढ़ने, फलने-फूलने के लिये प्रार्थना है।

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