लखनऊ: ह्रदय से, तड़प से, भाव से, प्रेम से, विरह से याद करने पर सपने में दर्शन देकर संतुष्टि करा देने वाले, गुरु आदेश का पालन करने पर अंदर और बाहर दोनों तरफ से अपने अपनाए हुए जीवों की संभाल करने वाले, उपरी दिव्य लोक कोई कोरी कल्पना नहीं है और इसका अनुभव करा देने वाले, विश्वास दिलाने वाले, साधना की गहरी बातें सरलता से समझा देने वाले, इस समय के महापुरुष, दुःखहर्ता, त्रिकालदर्शी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 1 सितंबर 2021 सायं जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में बताया कि गुरु महाराज तो (इस दुनिया संसार से) चले गए लेकिन अंतर में अगर आप साधना करोगे, ध्यान लगाओगे, दया मांगोगे, जिस तरह से आप यहां से घर से याद करके चल पड़ते थे, ऐसे ही घर में बैठ करके याद करोगे तो उसी तरह से गुरु महाराज आपको अंतर में भी दर्शन देंगे। कुछ लोगों को अंतर में देते भी है। नहीं कुछ होता है, ध्यान नहीं लगा पाता है, दर्शन करने की बेचैनी हुई तो सपने में ही दर्शन दे दिए। सपने में संतुष्टि कर देते हैं। समरथ गुरु की यही पहचान होती है कि सपने में मिल जाते हैं।

आदेश का पालन करोगे तो अंदर-बाहर दोनों जगह संम्हाल होगी

बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 सितंबर 2021 प्रातः बाड़मेर (राजस्थान) में बताया कि गुरु महाराज ने जाने से पहले (बाबा उमाकान्त जी महाराज के लिए) आदेश किया था कि यह पुराने लोगों की संभाल करेंगे और नए लोगों को नाम दान देंगे। संभाल का मतलब क्या है? देखो डाल बनाते समय एक-एक दाल पर नमक नहीं डालती हो, बल्कि पतीले भगोने में ही नमक डाल देती हो तो दाल के सभी दानों पर (नमक का) असर हो जाता है। ऐसे ही एक-एक पुराने लोगों को बताने का समय नहीं है, लेकिन अगर आप लोग गुरु महाराज के बताये सुमिरन ध्यान भजन को करने लग जाओगे, गुरुभक्ति और गुरुमुखता आपमें आ जाएगी, गुरु के आदेश का पालन करने लग जाओगे तो गुरु महाराज की दया आप पर हो जाएगी, आपकी संभाल अंदर और बाहर में भी होगी। अब अगर नहीं करोगे तो कैसे होगी दया? दया का स्रोत ( घाट) होता है। जैसे कोई पार होने के लिए नदी किनारे बैठ जाए और मल्लाह की अगर इच्छा पार ले जाने कि न भी हो और व्यक्ति प्रार्थना करता रहे, भैया पहुंचा दो, पहुंचा दो, बहुत जरूरी है, प्रार्थना करता रहेगा तो मल्लाह कहेगा अच्छा चलो बैठो, पार कर देते हैं। तो (दया प्राप्त करने का घाट) जगह होती है। दूर से ही कोई कह दे, हमको पार कर दो तो कैसे पार करेगा? इसलिए प्रेमियों! जिनको नाम दान मिल गया है, आप भाग्यशाली हो, सुमिरन ध्यान भजन आप लोग करने लग जाओ। मन न लगे तो शरीर से बने कर्मों को काटने के लिए शरीर से सेवा करो। उससे कर्म कटेंगे और भजन में मन लगने लगेगा।

दिखाई सुनाई जरूर पड़ेगा

महाराज जी ने 6 सितंबर 2021 सायं राजसमंद (राजस्थान) में बताया कि जब (अंतर साधना में उपरी चीजों को) उसको देखोगे सुनोगे तो लोगों को बताने लगोगे। तो जैसे ही देखी-सुनी चीज को बताओगे वैसे ही वह बंद कर देगा। बस फिर उसके लिए रोओगे तड़पोगे चिल्लाओगे। फिर वह चीज जल्दी मिलने वाली नहीं है। इसीलिए कुछ भी दिखाई-सुनाई पड़े, किसी को बताना मत। और अगर आप मन को रोककर थोड़ी देर सुबह-शाम बैठने लगोगे तो दिखाई-सुनाई जरूर पड़ेगा। यह बिल्कुल पक्की बात है।

जीवात्मा निकलने पर भूख-प्यास महसूस नहीं होती है

महाराज जी ने 3 अगस्त 2021 सायं रजनी विहार आश्रम, जयपुर में बताया कि जब जीवात्मा (साधना में) शरीर छोड़ देती है, (उपर) निकल जाती है तब शरीर का कोई बोध ज्ञान नहीं होता है। तब भूख, प्यास, टट्टी पेशाब नहीं लगता है। लेकिन जीवात्मा जब शरीर में वापस आती है तब यह सब महसूस होता है। और जितना ज्यादा समय बीतता है उसी हिसाब से इसको भूख लगती है। जैसे 2 घंटे बाद, 1 घंटे बाद लौट कर के आवे तब पेट में अगर (खाना पड़ा) है तो भूख नहीं लगेगी लेकिन 4-6-10 घंटे, 2 दिन अगर निकल जाए तो उसी हिसाब से जैसे कोई भूखा रहता है, वैसे भूख लगती है।

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