लखनऊ: परम सन्त निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी जिनको अपने जैसा बना कर गए हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, अंतरात्मा की सफाई करने की शक्ति रखने वाले, दुनिया की सारी विद्यायें जिसमें समाहित है वो आध्यात्मिक विद्या देने वाले, स्थाई सुख दिलाने वाले, इस दुःख के संसार से निकाल कर अपने असली घर ले चलने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि आदमी को आध्यात्मिक विद्या का ज्ञान होने पर दुनिया की सारी विद्या आ जाती है।

फिर इसकी (इस मृत्युलोक की विद्या की) कोई जरूरत ही नहीं पड़ती है। उसी विद्या से काम हो जाता है। जैसे किसी को हीरा या सोना मिल जाए तो वह कागज के नोट को कोई तवज्जो नहीं देगा, मिले न मिले, जरूरत ही नहीं रहेगी नोट को रखने की, संभालने की। हीरे या सोने का छोटा सा एक टुकड़ा जेब में रख लिया और पूरा गाड़ी भरकरके सामान ले आयेगा।

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