धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने सांय कल्याण आश्रम, मुबंई (महाराष्ट्र) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जिनको नामदान देने का हुकुम मिलता है, उन्ही के मुंह से जब सुनते हैं तो लाभ मिलता है। उन्हीं (शिष्यों) में से कोई साधक निकल आते हैं जिसको फिर वह अधिकार देकर चले जाते हैं कि हमारे न रहने के बाद यह नाम दान देंगे, जीवो की संभाल ये करेंगे।

धरती पर नाम दान देने का अधिकार एक को ही होता है

महाराज जी ने सायं कल्याण आश्रम, मुंबई में बताया कि देखा गया है कि नाम दान देने वाला इस धरती पर एक समय में एक ही होता है। पावर उसी को होता है। उसी का लगाया हुआ पौधा फल देता है। बाकी नामदान कोई भी देने लग जाए, वह जमेगा नहीं, विकसित होना तो दूर की बात है। जैसे बीज जमीन में पहले जमता है फिर पौधा विकसित होता है तो जमेगा ही नहीं।

हाथ जोड़ना, सिर ढकना, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सिखाया

महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में बताया कि पहले गुरु महाराज हाथ जोड़ते थे तो हाथ जोड़ना तो गुरु महाराज ने ही लोगों को सिखाया। सिर ढकना, घर की मर्यादा, पति पत्नी बच्चे मां भाई-भाई का फर्ज क्या होता है, गृहस्थ आश्रम में कैसे रहना चाहिए और भी बहुत कुछ गुरु महाराज ने सिखाया। लोगों ने उस चीज को पकड़ा। अब भी घरों में वही चीज, वही संस्कार चला आ रहा है। देखो जिन सतसंगियों ने गुरु महाराज की बातों को पकड़ लिया, ध्यान भजन करते हैं, नियम का पालन करते हैं उनके घर में सुख-शांति है। बाकी अशांति का ही संसार है, सब लोग दुखी है।

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