लखनऊ : खिरिया बाग में 176 वें दिन धरना दो किसानों के देहांत पर शोक सभा में तब्दील हो गया। जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा, आजमगढ़ के अध्यक्ष रामनयन यादव ने बताया कि खिरिया बाग के आंदोलनकारी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से मुलाक़ात कर अपनी मांगों को रखना चाहते थे लेकिन प्रशासन नहीं मिलने दे रहा है। अन्नदाता के अपमान के खिलाफ मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के दौरे के दिन 7 अप्रैल को खिरिया बाग में काला दिवस मनाया जाएगा। आज सभी अन्नदाता काला झंडा लहराकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए काला दिवस मनाएंगे।

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आपको बतादें, किसानों मजदूरों की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नाम पर विस्तारीकरण की परियोजना रद्द की जाए। किसानों ने बताया की, कल जिगिना करमनपुर के चंद्रबली और कादीपुर हरिकेश के अनेष निषाद का देहांत हो गया, उससे पहले 3 अप्रैल को जमुआ के प्रमोद उपाध्याय सुग्गा पंडित का देहांत हो गया था। जमीन जाने के सदमे से अब तक 32 किसानों की जान जा चुकी है और मुख्यमंत्री गृहमंत्री को किसानों से मिलने का वक्त नहीं।

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किसानो ने सरकार पर क्रोध व्यक्त करते हुए कहा की, 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजों द्वारा भारत की जनता की आवाज नहीं सुनने के विरोध में बम फेंका था। खिरिया बाग में 7 और 8 अप्रैल को काला दिवस मनाया जाएगा। गुलामी में अंग्रेज बात सुनने को तैयार नहीं थे और आज़ाद भारत में चुनी हुई सरकारें। धरने में दुखहरन राम, रामकुमार यादव, किसान नेता राजीव यादव, अवधेश यादव, निशांत, नंदलाल यादव, महेंद्र राय, महेंद्र यादव, साहेब दीन बौद्ध आदि उपस्थित थे।

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